सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों के मामले में सबूत गढ़ने में कथित भूमिका के सिलसिले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड को बुधवार को नियमित जमानत दे दी। शीर्ष अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार करने वाले गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया।
Supreme Court grants regular bail to activist Teesta Setalvad in a case of alleged fabrication of evidence in relation to the 2002 Gujarat riots. pic.twitter.com/F5tOXcvae8
— ANI (@ANI) July 19, 2023
अदालत ने आगे निर्देश दिया कि जमानत के दौरान सीतलवाड का पासपोर्ट ट्रायल कोर्ट के पास जमा रहेगा। वह गवाहों को प्रभावित करने का कोई प्रयास नहीं करेगी और उन गवाहों से दूर रहेगी जो ज्यादातर गुजरात में हैं। ऐसी स्थिति में, जब वह इस शर्त का उल्लंघन करती पाई गई, तो अदालत ने गुजरात पुलिस को शीर्ष अदालत में जाकर जमानत रद्द करने की मांग करने की भी अनुमति दी।
Supreme Court orders that Setalvad shall not make any attempt to influence the witnesses in the case and keep away from them.
Supreme Court quashes the Gujarat High Court’s order that rejected her regular bail and asked her to surrender immediately.
— ANI (@ANI) July 19, 2023
इससे पहले गुजरात उच्च न्यायालय ने तीस्ता सीतलवाड को 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित मामलों में कथित रूप से साक्ष्य गढ़ने और गवाहों को प्रशिक्षित करने के मामले में “तुरंत आत्मसमर्पण” करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका भी खारिज कर दी थी। पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें दी गई अंतरिम जमानत ने उन्हें अब तक गिरफ्तारी से बचा रखा था।
गुजरात उच्च न्यायालय ने उच्चतम न्यायालय जाने के आदेश पर रोक लगाने के सीतलवाड के वकील के अनुरोध को भी खारिज कर दिया था।
तीस्ता पर आरोप है कि उन्होंने गवाहों को भड़काया था। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री (अब प्रधानमंत्री) नरेन्द्र मोदी को क्लीन चिट दिए जाने की एसआईटी रिपोर्ट को चुनौती देने वाली जाकिया जाफरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि तीस्ता सीतलवाड़ अपने स्वार्थ सिद्ध करने में जुटी रहीं। कोर्ट ने संजीव भट्ट और आरबी श्रीकुमार की ओर से झूठा हलफनामा दायर किए जाने का भी जिक्र किया था।
तीस्ता पर साल 2002 के दंगों मामलों में फर्जी डॉक्यूमेंट और एफिडेविट के आधार पर गुजरात को बदनाम करने का आरोप भी है। हाईकोर्ट ने तीस्ता के वकील की सुप्रीम कोर्ट में अपील तक फैसले पर स्टे की मांग भी खारिज कर दी थी। सितंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम जमानत के जरिए सीतलवाड को अब तक गिरफ्तारी से सुरक्षा मिली हुई थी, जिसके बाद उन्हें इस मामले में न्यायिक हिरासत से रिहा कर दिया गया था।
मालूम हो कि तीस्ता सीतलवाड और पूर्व शीर्ष पुलिस आरबी श्रीकुमार को कथित तौर पर सबूत गढ़ने, जालसाजी करने और आपराधिक साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 2002 के गुजरात दंगों के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतरिम जमानत दिए जाने के बाद सितंबर 2022 में तीस्ता को गुजरात की साबरमती जेल से रिहा कर दिया गया था।
गुजरात एटीएस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में यह भी कहा गया है कि गवाहों के झूठे बयान तीस्ता सीतलवाड द्वारा तैयार किए गए थे और दंगों की जांच के लिए गठित नानावती आयोग के समक्ष दायर किए गए थे।
एफआईआर के अनुसार, सीतलवाड और श्रीकुमार ने झूठे सबूत गढ़कर और निर्दोष लोगों के खिलाफ झूठी और दुर्भावनापूर्ण आपराधिक कार्यवाही शुरू करके कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की साजिश रची थी।
पिछले साल 2 सितंबर को शीर्ष अदालत ने उन्हें इस आधार पर अंतरिम जमानत दे दी थी कि वह एक महिला हैं और मामला 2002 से संबंधित है जहां अधिकांश सबूत दस्तावेजी हैं। ये शर्तें आज भी प्रासंगिक पाई गईं और इसलिए अदालत ने उन्हें जमानत पर बाहर रहने का निर्देश दिया।