पश्चिमी दिल्ली के एक अस्पताल पर 15 साल पुराने मामले में 1.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। दरअसल, एक महिला पर इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) प्रक्रिया की गई थी, जिसमें उस शुक्राणु का उपयोग किया गया था जो उसके पति का नहीं था। लापरवाही का पता चलने पर पति ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) से संपर्क किया। नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन (एनसीडीआरसी) ने माता-पिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए भाटिया ग्लोबल हॉस्पिटल एंड एंडोसर्जरी इंस्टीट्यूट, इसके अध्यक्ष और निदेशक को सामूहिक रूप से परिवार को 1 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है।
अदालत ने उन्हें एनसीडीआरसी के उपभोक्ता सहायता कोष में अतिरिक्त 20 लाख रुपये जमा करने का भी आदेश दिया है। मामले में शामिल अस्पताल के डॉक्टरों समेत तीन लोगों को शिकायतकर्ताओं को 10-10 लाख रुपये देने का आदेश दिया गया है।
अदालत ने भुगतान के लिए छह सप्ताह का समय दिया है और कहा है कि यदि इस समय सीमा के भीतर शिकायतकर्ताओं को राशि नहीं मिली तो जुर्माने के रूप में आठ प्रतिशत वार्षिक ब्याज लगाया जाएगा।
इसके अतिरिक्त, अदालत ने निर्देश दिया कि जुड़वा बच्चों के लिए लगभग 1.5 करोड़ रुपये की सावधि जमा की जाए, जिसमें प्रत्येक बच्चा आधी राशि का हकदार हो।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ऐसे क्लीनिकों की मान्यता की जांच की जानी चाहिए। उसने कहा कि नवजातों का डीएनए प्रोफाइल अनिवार्य रूप से जारी किए जाने की जरूरत है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक दंपति 15 साल पहले जुड़वां बच्चों के माता-पिता बने थे। महिला की शिकायत के मुताबिक, आईवीएफ प्रक्रिया से गुजर रही महिला को सीमेन का एक नमूना दिया गया जो उसके पति का नहीं था। जानकारी के मुताबिक दंपति को इस गड़बड़ी का पता 2008-09 में डीएनए प्रोफाइल टेस्ट के बाद हुआ था। आईवीएफ प्रक्रिया से गुजरने वाली महिला ने अपना डीएनए प्रोफाइल टेस्ट करवाया था। रिपोर्ट से पता चला कि जुड़वा बच्चों में से एक का ब्लड ग्रुप AB+ था, जबकि माता-पिता का ब्लड ग्रुप B पॉजिटिव और O नेगेटिव था। आयोग ने कहा, “यह स्पष्ट है कि आईसीएसआई (इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन) या आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान लापरवाही के कारण ऐसी दुर्घटना हुई।”
रिपोर्ट से साबित हुआ कि आईवीएफ इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन लापरवाही से किया गया था। पिता ने उन्हें, उनके बच्चों और उनके परिवार को हुई मानसिक और आनुवंशिक पीड़ा का हवाला देते हुए अस्पताल से 2 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की थी।