केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारी पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले पहुंचे। उन्हें सूचना मिली थी कि कुछ महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेजों को जला दिया गया है। घनास्थल पर पहुंचते ही सीबीआई के अधिकारियों ने दस्तावेजों के अवशेषों की छानबीन की और भंडार के अंदुल गरिया इलाके में एक परित्यक्त भूमि पर आग बुझाने की कोशिश की।
#WATCH | West Bengal: Unknown documents were burnt by unidentified people in Andul Garia area of Bhandar in South 24 Parganas. CBI officials and Kolkata police on the spot. pic.twitter.com/IMnWQH4LMj
— ANI (@ANI) April 18, 2023
ये घटना उस समय हुई है जब सीबीआई टीएमसी शासित राज्य में करोड़ों रुपये के नौकरियों घोटाले सहित अनियमितताओं के कई मामलों की जांच कर रही है। केंद्रीय एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इन सरकारी दस्तावेजों को आग क्यों लगाई गई।
मंगलवार की सुबह अंदुल गरिया क्षेत्र के ग्रामीणों ने अचानक जमीन पर आग देखी तो वहां कई सरकारी दस्तावेज जले हुए मिले। सीबीआई की शुरुआती जांच में पता चला है कि ये कागजात पड़ोसी राज्य बिहार के कई इलाकों में खनन कारोबार से जुड़े हुए हैं।
अधिकांश जले हुए दस्तावेज बिहार सरकार से संबंधित थे और बड़ी मात्रा में धन की रसीदें, फाइलें, प्रोजेक्ट रिपोर्ट, कैश मेमो, बैलेंस शीट भी बरामद किए गए हैं। जांच में पता चला कि भारतीय वायु सेना में कार्यरत एक पायलट ने जमीन का एक टुकड़ा बिहार निवासी राजेश सिंह को बेचा था। एजेंसी ने स्थानीय गांव के एक टीम लीडर राकेश अधिकारी को बुलाया और उनसे पूछताछ भी की।
सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि, “भांगर में दस्तावेजों को जलाने की सूचना मिलने पर हमारे कुछ अधिकारी वहां गए और कुछ आंशिक रूप से जले हुए कागजात एकत्र किए। शुरुआती नजर में ऐसा लगता है कि ये दस्तावेज बिहार में खनन मामलों से ताल्लुक रखते हैं।’
सीबीआई ने राकेश अधिकारी से उनके अधिकार क्षेत्र में आने वाली जमीन को लेकर पूछताछ की। सूत्रों के मुताबिक, उनसे यह भी पूछा गया कि क्या वह पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी या शिक्षा घोटाले में गिरफ्तार किसी अन्य व्यक्ति को जानते हैं?
सीबीआई ने तब जमीन के मालिक राजेश सिंह को कोलकाता में सीबीआई कार्यालय निजाम पैलेस में तलब किया।
यह पूछे जाने पर कि क्या कुछ दस्तावेज पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले से संबंधित हैं, अधिकारी ने बताया, “ऐसा नहीं लगता। हालाँकि, यह एक प्रारंभिक अवलोकन है। हमें और जांच करने की जरूरत है। हम एक स्पष्ट विचार रखने के लिए उनका रासायनिक परीक्षण भी करेंगे।”
सूत्रों के मुताबिक, स्थानीय लोगों ने दावा किया कि कुछ प्रभावशाली स्थानीय नेताओं ने उन सभी कागजों को जमीन पर रखकर आग लगा दी। यह भी आरोप लगाया गया है कि ये नेता नौकरी घोटाले में ईडी की हिरासत में चल रहे पार्थ चटर्जी के करीबी हैं। लेकिन स्थानीय पंचायत के उप प्रमुख राकेश अधिकारी ने इन सभी आरोपों का खंडन किया है।
स्थानीय लोगों ने यह भी दावा किया कि यह पहली बार नहीं है जब सरकारी कागजात जलाए गए हैं। जिस जमीन पर राजेश सिंह का मालिकाना हक है, उस पर पिछले दो दिनों से सरकारी दस्तावेज जलाए जा रहे हैं।
बता दें कि पश्चिम बंगाल में वर्तमान में जिन बड़े वित्तीय घोटालों की सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी केंद्रीय एजेंसियां जांच कर रही हैं, उनमें सरकारी स्कूलों में शिक्षक और गैर-शिक्षक कर्मचारियों की भर्ती में अनियमितता, पशु तस्करी और कोयले की तस्करी शामिल हैं।