उत्तर प्रदेश के प्रयागराज की एक अदालत ने गैंगस्टर से राजनेता बने अतीक अहमद और दो अन्य आरोपियों को 2006 में बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल के अपहरण का दोषी ठहराया। एमपी-एमएलए कोर्ट ने अतीक अहमद, दिनेश पासी और खान सौलत हनीफ को उम्रकैद की सजा सुनाई और एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। जेल में बंद डॉन के लिए यह पहली सजा है। मामले में अहमद के भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ समेत सात अन्य को बरी कर दिया गया।
मालूम हो कि उमेश पाल अपहरण केस में कुल 11 आरोपी थे। इनमें से एक की मौत हो गई थी।
– तीन को सुनाई गई सजा – अतीक अहमद, दिनेश पासी खान, शौलत हनीफ।
– सात आरोपी बरी- अतीक का भाई अशरफ, अंसार बाबा, फरहान, इसरार, आबिद प्रधान, आशिक मल्ली और एजाज अख्तर।
– एक आरोपी की हो गई है मौत- अंसार अहमद।
अतीक अहमद को एक और झटका लगा, सुप्रीम कोर्ट ने उमेश पाल हत्याकांड में उत्तर प्रदेश पुलिस की हिरासत के दौरान सुरक्षा की मांग करने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी। अहमद ने दावा किया था कि उनकी और उनके परिवार के सदस्यों की जान को वास्तविक और बोधगम्य खतरा है।
मंगलवार को माफिया अतीक अहमद को एक और झटका लगा जब सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस की हिरासत के दौरान सुरक्षा की मांग करने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी। दरअसल, उसकी सुरक्षा के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की। माफिया के वकील ने कोर्ट में कहा कि अतीक की जान को खतरा है। खुला ऐलान हुआ है। आप उसको सुरक्षा मुहैया कराइए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा की आप हाई कोर्ट जाइए। सुप्रीम कोर्ट ने अतीक की सुरक्षा के लिए कोई भी आदेश जारी करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की मशीनरी उसका ख्याल रखेगी। अतीक ज्यूडीशियल कस्टडी में है।
17 साल पुराने अपहरण मामले में आज प्रयागराज की अदालत की सुनवाई से पहले अहमद को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच गुजरात की साबरमती जेल से प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल लाया गया था।
बता दें कि 25 जनवरी 2005 को बसपा विधायक राजू पाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस केस में अतीक अहमद, उसका भाई अशरफ समेत 5 आरोपी नामजद थे। जबकि चार अज्ञात को आरोपी बनाया था। इस केस में राजू पाल का रिश्तेदार उमेश पाल मुख्य गवाह था। उमेश का 28 फरवरी 2006 अपहरण हुआ था। इसका आरोप अतीक अहमद और उसके साथियों पर लगा था। उमेश ने आरोप लगाया था कि अतीक ने उसके साथ मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी। घटना के एक साल बाद उमेश की शिकायत पर पुलिस ने 5 जुलाई 2007 को अतीक, उसके भाई अशरफ और चार अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 17 मार्च को सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। जज डीसी शुक्ला ने 23 मार्च को अतीक को अदालत में पेश करने के लिए आदेश जारी किया था। इसी साल 24 फरवरी को प्रयागराज में दिनदहाड़े राजूपाल हत्याकांड में गवाह उमेश पाल की भी हत्या कर दी गई थी।