प्रदेश में गुरुवार की रात से शुरू हुई बिजली विभाग के कर्मचारियों की 72 घंटे की हड़ताल से जिले की बिजली आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है। प्रशासन द्वारा स्थानीय खराबी, बंद व अन्य समस्याओं से निपटने के लिए किए गए वैकल्पिक इंतजाम नाकाफी साबित हुए हैं। व्यापार और औद्योगिक गतिविधियां भी बुरी तरह प्रभावित हुईं।
शुक्रवार को पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के मुख्यालय के पास जहां कई इलाके बिजली कटौती से जूझ रहे थे, वहीं बिजली कर्मचारी ‘समझौता पूर्ति यज्ञ’ कर रहे थे।
जिला मजिस्ट्रेट एस राजलिंगम ने प्रशासन के अधिकारियों और सुरक्षा बलों की उपस्थिति की जांच करने के लिए बिजली सब-स्टेशनों और फीडरों का जायजा लिया। इमलिया घाट, पन्नालाल उपकेन्द्र, नगरीय विद्युत वितरण खण्ड-द्वितीय चौकाघाट सहित अन्य स्थानों पर फीडर की सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। हालांकि सुरक्षाकर्मियों के अलावा कोई भी आपरेटर ड्यूटी पर नहीं मिला।
सिगरा में एकीकृत कंट्रोल एंड कमांड सेंटर में अधिकारियों ने डीएम को बताया कि सभी सब-स्टेशनों और फीडरों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है और सुरक्षा बलों को संचालन और मरम्मत कार्यों के लिए वैकल्पिक कर्मचारियों को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया गया है।
हालांकि, कलेक्ट्रेट स्थित कार्यालय में अंधेरा रहने के कारण वैकल्पिक व्यवस्था पर्याप्त साबित नहीं हो पाई। नईबस्ती पांडेयपुर क्षेत्र में गुरुवार सुबह से ही बिजली कटौती के कारण लोगों को पीने के पानी के लिए भी मशक्कत करनी पड़ी।
बिजली कटौती से नाराज वरुणा क्षेत्र के व्यापारियों ने धरना-प्रदर्शन भी दिया। इंग्लिशलाइन, परेडकोठी, मालदहिया, सिद्धगिरिबाग, मैदागिन, रामनगर, सारनाथ, कंदवा और अन्य इलाकों के लोगों ने बिजली कटौती की शिकायत की, लेकिन उन्हें इस समस्या का समाधान करने वाला कोई नहीं मिला।
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की वाराणसी इकाई ने इस मामले को लेकर आपात बैठक बुलाई। आईआईए के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आरके चौधरी, राष्ट्रीय सचिव राजेश भाटिया और अन्य उद्योगपतियों ने आरोप लगाया कि गुरुवार की रात से बिजली कटौती से रामनगर औद्योगिक क्षेत्र के सभी उद्योग बंद हो गए हैं।उन्होंने इसे चौंकाने वाला बताया और सरकार से बिजली कर्मचारियों की हड़ताल से उत्पन्न समस्याओं का तत्काल समाधान निकालने की मांग की।
बता दें कि उत्तर प्रदेश बिजली विभाग के हड़ताली कर्मचारियों ने शुक्रवार को दावा किया कि उनकी हड़ताल से राज्य में बिजली वितरण प्रभावित हुआ है, लेकिन सरकार ने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है और बिजली की लाइनों को नुकसान पहुंचाने वालों को कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है। बिजली मंत्री एके शर्मा ने गुरुवार रात 10 बजे से शुरू हुई 72 घंटे की हड़ताल के लिए बिजली विभाग के कुछ ‘गैरजिम्मेदार’ लोगों को दोषी ठहराया और कहा कि यह कर्मचारियों के हित में नहीं है। उन्होंने देवरिया की एक घटना का हवाला देते हुए कहा कि कुछ कर्मचारियों द्वारा बिजली के बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने की खबरें आई हैं।