कोविड-19 के डर से एक महिला ने अपने 10 साल के बेटे के साथ खुद को गुरुग्राम स्थित अपने घर में तीन साल के लिए बंद कर लिया था। पुलिस ने महिला के पति द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद मां और बच्चे का रेस्क्यू किया। बंद घर से बाहर निकालने के बाद बच्चे और मां दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। 35 वर्षीय इस महिला के पति ने दावा किया है कि उनकी पत्नी मानसिक रूप से अस्थिर हैं।
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— Sumedha Sharma (@sumedhasharma86) February 22, 2023
पुलिस ने बताया कि महिला ने धमकी दी थी कि अगर अधिकारियों ने उन्हें निकालने का प्रयास किया तो वह बच्चे को जान से मार देगी। पुलिस ने बाल कल्याण टीम की मदद से उन्हें घर से बाहर निकालने में कामयाबी हासिल की।
कमरे के अंदर कूड़े का ढेर देख जिला प्रशासन के अधिकारी दंग रह गए। चाइल्ड वेलफेयर टीम के एक अधिकारी ने कहा, “कमरे के चारों तरफ तीन साल से कचरा पड़ा हुआ था।”
मालूम हो कि महिला के पति ने इस मामले को लेकर एक बार पहले भी शिकायत दर्ज कराई थी लेकिन उस समय इसे पारिवारिक मामला बताकर खारिज कर दिया गया था। जिला प्रशासन द्वारा की गई छापेमारी में मां और उसके बच्चे को बंद घर से मुक्त कराया गया।
शुरुआती जांच में सामने आया है कि कोविड-19 की पहली लहर के दौरान परिवार पूरे समय घर के अंदर ही रहा था। लेकिन कोरोना के दूसरी लहर के समय महिला ने कथित तौर पर अपने पति को घर में प्रवेश करने से रोक दिया था। एक दिन जब महिला का पति ऑफिस के लिए गया तो महिला ने घर पर ताला लगा दिया। इसके बाद महिला के पति ने एक दूसरा कमरा किराए पर ले लिया और पिछले डेढ़ साल से वहीं रह रहा है।
जानकारी के अनुसार इस महिला का नाम मुनमुन माझी है और इनके पति का नाम सुजान माझी है। महिला के पति पेशे से एक इंजीनियर हैं। फिलहाल अस्पताल में मनोचिकित्सकों द्वारा महिला और उनके 10 साल के बेटे का इलाज किया जा रहा है। महिला के पति ने बताया कि उसने कई बार अपनी पत्नी को समझाने की कोशिश की, लेकिन उसकी पत्नी इस बात को नहीं समझ रही थी। सुजान माझी ने बताया कि उनकी पत्नी का दिमागी संतुलन इस हद तक खराब हो गया है कि उसने घर में मेरी भी एंट्री बंद कर दी।
सिविल सर्जन गुरुग्राम डॉक्टर वीरेंद्र यादव के मुताबिक, “इस महिला को कुछ मनोवैज्ञानिक समस्याएं हैं। दोनों को पीजीआई रोहतक रेफर किया गया है, जहां उन्हें इलाज के लिए मनोरोग वार्ड में भर्ती कराया गया है।”
इस मामले में एएसआई प्रवीण कुमार ने कहा कि, “शुरु में हमें सुजान की बातों पर विश्वास नहीं हुआ था। उसने जब अपने बेटे से वीडियो कॉल पर मेरी बात कराई तब मैंने इस मामले में दखल दिया।”
इस घटना के बारे में में एक स्थानीय निवासी ने कहा, “पहले तो पुलिस ने इसे घरेलू मामला बताया। छह महीने बाद व्यथित पति ने फिर से पुलिस से गुहार लगाई और फिर पुलिस थाने में तैनात एक पुलिस अधिकारी ने उन्हें छुड़ाने के लिए जिला प्रशासन की मदद ली।”