मंगलवार रात JNU एक बार फिर बवाल का केंद्र बन गया। बीबीसी की बैन डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर अड़े छात्र संघ के तेवर से देर रात कैंपस में तनाव पैदा हो गया। कुछ छात्र बैन के बाद भी मोबाइल पर डॉक्यूमेंट्री देख रहे थे। इसके बाद छात्रों का दूसरा गुट भड़क गया और विवाद बढ़ने के दौरान पत्थरबाजी की गयी। पत्थर किसने चलाए ये साफ नहीं हो पाया है लेकिन हंगामा बरपने पर इंटरनेट बंद कर दिया गया और बिजली भी काट दी गई लेकिन तब भी बवाल थमा नहीं और देर रात तक जारी रहा। मालूम हो कि बीबीसी की यह विवादित डॉक्यूमेंट्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आधारित है। इस पूरे विवाद में अभी तक यूनिवर्सिटी प्रशासन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
JNUSU gave a call for screening of the "India:The Modi Question" documentary which was blocked by Modi Govt.The JNU admin siding by the govt snapped electricity-internet to stop the screening from happening. ABVP attacked students. However students of JNU carried out screening.✊🏾 pic.twitter.com/ggJnQjVcFo
— Mayukh Biswas (@MayukhDuke) January 24, 2023
यह डॉक्यूमेंट्री नर्मदा हॉस्टल के सामने जेएनयू छात्रसंघ के ऑफ़िस में रात नौ बजे दिखाई जानी थी। जेएनयू छात्र संघ ने इसकी घोषणा एक दिन पहले ही कर दी थी। छात्रसंघ की इस घोषणा के बाद जेएनयू प्रशासन ने कहा था कि डॉक्यूमेंट्री दिखाने के कार्यक्रम के लिए अनुमति नहीं ली गई है और छात्रों को सलाह दी जाती है कि प्रस्तावित कार्यक्रम रद्द कर दें। ऐसा नहीं करने वालों के ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जा सकती है। लेकिन इसके बावजूद रात आठ बजे से छात्र जहां डॉक्यूमेंट्री दिखाई जानी थी वहां जमा होना शुरू हो गए। स्क्रीनिंग से आधा घंटा पहले 8.30 बजे रात में पूरे कैंपस की बिजली चली गई। छात्रों का दावा है कि प्रशासन ने बिजली काट दी।
9 बजकर 10 मिनट पर जेएनयू छात्र संघ की प्रेसिडेंट आइशी घोष ने डॉक्यूमेंट्री देखने आए छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने कहा, “वे डरते हैं कि सच्चाई बाहर आ जाएगी। आप लाइट छीन सकते हैं, आप हमारे हाथ से स्क्रीन छीन सकते हैं, आप हमारे लैपटॉप छीन सकते हैं, लेकिन आप हमारी आंखें, हमारे जज़्बे को नहीं छीन सकते।”
JNSU president @aishe_ghosh circulated QR code after the power supply cut down at JNU. #BBCDocumentary pic.twitter.com/z53rZikKcP
— Sunny Pratap (@sunnypratap02) January 24, 2023
बिजली ना होने की वजह से बड़े पर्दे पर डॉक्यूमेंट्री नहीं दिखाई जा सकी, लेकिन उसके बाद छात्र संघ ने छात्रों के बीच क्यू आर कोड बांटने शुरू कर दिए। इसकी मदद से छात्र अपने-अपने फ़ोन पर डॉक्यूमेंट्री देख सकते थे। छात्रों से कहा गया कि वे छात्र संघ ऑफ़िस के बाहर बैठकर डॉक्यूमेंट्री देखें। लेकिन जब फ़ोन पर ठीक से चल नहीं पाया तो कुछ छात्र लैपटॉप और स्पीकर ले आए।
After Students Assn announced that #BBCDocumentary will be screened in JNU, the power has been suspended. Following that now students have circulated QR code to download the documentary on their mobile phones. pic.twitter.com/b5UMYyAoYk
— Mugilan Chandrakumar (@Mugilan__C) January 24, 2023
रात 9 बजकर 40 मिनट पर छात्रसंघ दफ़्तर के बाहर छात्रों ने छोटे-छोटे ग्रुप बनाकर लैपटॉप से बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ देखना शुरू कर दिया। इसी बीच 10 बजकर 20 मिनट पर अचानक डॉक्यूमेंट्री देख रहे छात्रों पर पत्थरबाज़ी होने लगी। पत्थरबाज़ी शुरू होते ही छात्रों के बीच भगदड़ मच गई और छात्र वहां से भागने लगे। पांच मिनट के अंदर ही छात्रसंघ ऑफिस के बाहर की जगह खाली हो गई।
Stone pelting in JNU. pic.twitter.com/q0xVdYyWlw
— Anshul Singh (@anshulsigh) January 24, 2023
पथराव के बाद डॉक्यूमेंट्री देख रहे छात्रों ने जेएनयू गेट तक मार्च निकाला और वहां पहुंचकर नारेबाज़ी की। जेएनयू के मुख्य द्वार पर भी छात्रों ने दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की। स्टूडेंट यूनियन की प्रेसिडेंट आइशी घोष ने कहा, “अब लाइट को रिस्टोर करने की ज़रूरत है। हमने कभी नहीं सोचा था कि जेएनयू प्रशासन इतना नीचे गिर सकता है कि वह फ़िल्म की स्क्रीनिंग को बंद करवाने के लिए पत्थरबाज़ी करवाएगा।“ जेएनयू अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि उन्होंने एबीवीपी के लोगों को पत्थर चलाते देखा है। जेएनयू स्टूडेंट यूनियन ने कहा है कि वह डॉक्यूमेंट्री को फिर से दिखाएगा।
https://twitter.com/AhmedKhabeer_/status/1618057745852428288?s=20&t=_VUVaBIAfSxn_g3M_tisYA
इस मामले को लेकर ABVP के अध्यक्ष रोहित कुमार ने कहा है कि जो भी हंगामा हुआ, उसमें दो जेएनयू के स्टूडेंट थे, और बाकी कुछ छात्र दिल्ली यूनिवर्सिटी और जामिया मिल्लिया इस्लामिया से आए थे। जानबूझकर यूनिवर्सिटी में जहर फैलाने और शांति भंग करने की कोशिश कर रहे थे। एबीवीपी के छात्रों ने कोई पत्थरबाजी नहीं की है। जेएनयू स्टूडेंट यूनियन ने खुद ये काम किया है।
जेएनयू में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर हुए बवाल के बाद अब जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी भी इस फिल्म की स्क्रीनिंग करने जा रही है। स्क्रीनिंग का यह कार्यक्रम 25 जनवरी को शाम 6 बजे एमसीआरसी लॉन में रखा गया है। हालांकि उससे पहले ही यूनिवर्सिटी के बाहर CRPF, RAF और दिल्ली पुलिस के कई जवानों की तैनाती की गई है। बताया जा रहा है कि दिल्ली पुलिस ने मौके पर पहुंचकर यूनिवर्सिटी के गेट नंबर 8 के बाहर से छात्रों को भी डिटेन किया है। इतना ही नहीं, यूनिवर्सिटी के बाहर किसी के रुकने और खड़े होने पर भी सख्त मनाही है।
इससे पहले हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी और केरल में कुछ कैम्पसों में छात्रों ने इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की है जबकि कई और विश्वविद्यालय परिसरों में छात्र संघ सामूहिक तौर पर वीडियो देखने का आयोजन करने की घोषणा कर चुके हैं। हैदराबाद की सेंट्रल यूनिवर्सिटी में शनिवार की रात फ़्रैटरनिटी मूवमेंट ग्रुप के कुछ छात्रों ने ये डॉक्यूमेंट्री दिखाई। हालाँकि छात्रों ने इसके लिए पहले से कोई अनुमति नहीं ली थी।
बता दें कि बीबीसी ने दो एपिसोड की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है जिसका नाम है – इंडिया: द मोदी क्वेश्चन. इसका पहला एपिसोड 17 जनवरी को ब्रिटेन में प्रसारित हुआ था। दूसरा एपिसोड 24 जनवरी को प्रसारित हुआ। ये डॉक्यूमेंट्री एक अप्रकाशित रिपोर्ट पर आधारित है जिसे बीबीसी ने ब्रिटिश फ़ॉरेन ऑफ़िस से हासिल किया है। इस डॉक्यूमेंट्री में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुए गुजरात में साल 2002 में हुई हिंसा में लोगों की मौत पर सवाल उठाए गए हैं। सरकार ने ट्विटर और यूट्यूब को इंडिया: द मोदी क्वेश्चन नामक डॉक्यूमेंट्री के लिंक ब्लॉक करने का निर्देश दिया था। विदेश मंत्रालय ने डॉक्यूमेंट्री को एक दुष्प्रचार का हथकंडा बताते हुए खारिज कर दिया है। मंत्रालय का कहना है कि इसमें निष्पक्षता का अभाव है और यह एक औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है।