ओपीएस यानी ओल्ड पेंशन स्कीम कांग्रेस के लिए हिमाचल प्रदेश में ट्रंप कार्ड साबित हुई है. हिमाचल प्रदेश में ओपीएस का कार्ड ऐसा काम कर गया कि कांग्रेस राज्य में 40 सीट जीतने में कामयाब हो गई। विश्लेषकों के मुताबिक़, इस जीत के बाद अब कांग्रेस को लगता है कि ओपीएस का मुद्दा उसके लिए संजीवनी की तरह साबित हो सकता है। लगभग सभी राज्यों में पहले से ही राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) लागू थी लेकिन उसके बावजूद कांग्रेस ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करने का फैसला लिया।
एक रिपोर्ट के अनुसार, अर्थशास्त्री पुरानी पेंशन व्यवस्था को राजकोषीय नीति के रूप में सही नहीं मानते हैं तो वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस के नेताओं का तर्क है कि कई राज्यों में ओपीएस का मुद्दा काफी अहम है और वे वोटर्स के सामने इसे वादे के रूप में लाएंगे और सरकार बनने के बाद लागू कराएंगे।
2023 के अंत में तीन राज्यों- छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होंगे जिन्हें दिल्ली की सत्ता के सेमीफाइनल के तौर पर देखा जाएगा। इन तीनों राज्यों की अगर बात करें तो छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस सत्ता में है और मध्य प्रदेश में बीजेपी के पास सत्ता है। छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम पहले से लागू है और हिमाचल में ओपीएस के दम पर ही कांग्रेस सत्ता में है। शपथ लेने के बाद नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि पहले ही कैबिनेट मीटिंग में ओपीएस पर चर्चा करेंगे।
इससे पहले कांग्रेस पार्टी ने उत्तराखंड में भी ओपीएस कार्ड खेलने की कोशिश की थी लेकिन जीत बीजेपी की हुई। वहीं अब कांग्रेस अन्य चुनावों में भी पेंशन योजना को मुद्दा बनाने की इच्छुक है। एक कांग्रेस नेता ने नाम ना बताने के शर्त पर कहा, “यह राज्य के नेतृत्व पर निर्भर करता है. हम अब राज्यों में चुनाव लड़ रहे हैं।” हाल ही में गुजरात के लोगों ने भी ओपीएस पर भरोसा नहीं दिखाया और कांग्रेस की राज्य में बड़ी हार हुई।
‘ओल्ड पेंशन स्कीम’ और ‘न्यू पेंशन स्कीम’ में क्या फर्क है?
ओल्ड पेंशन स्कीम को डिफाइंड बेनिफिट पेंशन सिस्टम (DBPS) कहा जाता है जो कर्मचारी द्वारा प्राप्त अंतिम सैलरी पर आधारित है। ओपीएस के तहत कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद पेंशन के रूप में अंतिम ड्रॉन सैलरी का 50 फीसदी निकाल सकता है।
एनपीएस को डिफाइंड कंट्रीब्यूशन बेनिफिट पेंशन सिस्टम (DCPS) कहा जाता है। एनपीएस के तहत, एक व्यक्ति को रिटायरमेंट के समय उसके काम किये हुए सालों के दौरान संचित एकम्यूलेटेड कॉरपस का 60 फीसदी निकालने की अनुमति है, जो टैक्स-फ्री है। शेष 40 फीसदी को एक एनुटाइज्ड प्रोडक्ट में बदल दिया जाता है, जो वर्तमान में व्यक्ति को उसके अंतिम ड्रॉन सैलरी का 35 फीसदी पेंशन प्रदान कर सकता है। एनपीएस 1 जनवरी, 2004 को या उसके बाद सेंट्रल ऑटोनॉमस बॉडी (सशस्त्र बलों को छोड़कर) सहित केंद्र सरकार की सेवाओं में शामिल होने वाले सभी कर्मचारियों पर लागू होता है। नेशनल पेंशन सिस्टम के तहत समय से पहले बाहर निकलने के मामले में ग्राहक की एकम्यूलेटेड पेंशन वेल्थ का कम से कम 80 फीसदी एन्युटी की खरीद के लिए उपयोग किया जाता है, जिससे ग्राहक को मासिक पेंशन मिलती है और ग्राहक को एकमुश्त राशि का भुगतान किया जाता है। इस योजना के तहत, ग्राहक अपनी सेवानिवृत्ति के बाद 70 साल की आयु तक एनपीएस में कंट्रीब्यूशन करना जारी रख सकते हैं और कंट्रीब्यूशन पर अतिरिक्त टैक्स बेनिफिट प्राप्त कर सकते हैं।