केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा- ‘कोरोना वैक्सीन से हुई मौतों के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं’, टीकाकरण से हुई मौत के बाद दायर की गई थी याचिका
No legal compulsion to get vaccinated; government cannot be held liable for deaths from COVID vaccine: Central government to Supreme Court
report by @AB_Hazardous #SupremeCourtOfIndia #COVID19 #CovidVaccine https://t.co/XI88OcergW
— Bar & Bench (@barandbench) November 28, 2022
कोरोना टीकाकरण की वजह से हुईं कथित मौतों पर केंद्र सरकार ने किसी भी तरह की जिम्मेदारी लेने से साफ़ मना कर दिया है। दरअसल, भारत सरकार ने जब कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीनेशन ड्राइव शुरू किया था तब भारी संख्या में लोगों ने वैक्सीन लगवाई थी। वैक्सीन लगवाने के बाद उसके कथित दुष्प्रभाव से कई लोगों की मौत हो गई थी। इसी को लेकर अब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया है कि, ‘कोविड वैक्सीनेशन के बाद होने वाली मौतों के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं है’। केंद्र ने अपने जवाब में कहा है कि, ‘मृतकों व उनके परिजनों के प्रति उसकी पूरी हमदर्दी है, लेकिन टीके के किसी भी प्रतिकूल प्रभाव का उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता’। सरकार का ये हलफनामा दो युवतियों के माता-पिता द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में आया है, जिनकी पिछले साल कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद मौत हो गई थी।
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दाखिल किया है, उसमे कहा है कि जिन मामलों में वैक्सीन लगवाने के बाद मौत हुई है, ऐसे लोगों के परिजन सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर करके मुआवजे की मांग कर सकते हैं, क्योंकि यही एकमात्र उपाय है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने याचिकाकर्ता की मुआवजे की मांग खारिज करते हुए कहा है कि यदि किसी व्यक्ति को वैक्सीनेशन के साइड इफेक्ट की वजह से शारीरिक चोट भी आती है या उसकी मौत होती है तो कानून के मुताबिक वह या उसका परिवार मुआवजे की मांग के लिए सिविल कोर्ट जा सकते हैं। हलफनामे में कहा गया है कि लापरवाही को लेकर ऐसे मामले केस-दर-केस के आधार पर दायर किए जा सकते हैं।
केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि कोविड वैक्सीनेशन ड्राइव के तहत दी जाने वाली वैक्सीन तीसरे पक्ष द्वारा बनाई जाती है। भारत के साथ-साथ बाकी देशों में भी इसको रिव्यू किया जाता है और फिर इसे सुरक्षित और प्रभावी माना जाता है। 23 नवंबर को दायर हलफनामे में मंत्रालय ने कहा कि सरकार जनहित में सभी एलिजिबल लोगों को कोविड वैक्सीन लेने के लिए प्रोत्साहित करती है। हालांकि इसके लिए किसी पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं बनाती और ना ही वैक्सीन लेने की कोई कानूनी बाध्यता है। लोग अपनी इच्छा से वैक्सीन लगवाते हैं।
केंद्र ने कहा कि पहली याचिकाकर्ता रचना गंगू की बेटी है जिन्होंने कोविशील्ड की पहली खुराक ली थी और उसके एक महीने के अंदर ही उसकी मौत हो गई थी। दूसरे याचिकाकर्ता वेणुगोपालन गोविंदन हैं जिनकी बेटी ने भी कोविशील्ड का पहला डोज लिया था और कुछ दिनों के बाद उसकी भी मौत हो गयी थी।केंद्र ने अपने दायर हलफनामे में कहा है कि मृतका में थ्रांबोसिस और टीटीएस के लक्षण देखे गए है।
केंद्र सरकार ने अपने दिए हलफनामे में प्रतिकूल प्रभावों के आंकड़े भी पेश किए हैं। केंद्र ने कहा है कि कुल लगाए गए टीकों की तुलना में ये बहुत कम है। 19 नवंबर 2022 तक देश में कोरोना वैक्सीन की कुल 219.86 करोड़ खुराक दी जा चुकी है जिसमें से प्रतिकूल प्रभाव के सिर्फ 92114 के मामले दर्ज किए गए। एईएफआई के इन मामलों में से 89,332 (यानी 0.0041 फीसदी) मामूली प्रतिकूल प्रभाव के थे और मात्र 2,782 (यानी 0.00013 फीसदी) मामले मौत समेत अन्य गंभीर प्रतिकूल असर के हैं।
मामला क्या है?
पिछले साल दो युवतियों की कथित तौर पर कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद मौत हो गई थी। इस मामले में युवतियों के माता पिता ने शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल की थी। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से कोरोना वैक्सीनेशन की वजह से हुईं कथित मौतों की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की गई थी। इस याचिका में वैक्सीनेशन के बाद किसी भी तरह के साइड इफेक्ट का समय रहते पता लगाकर उससे बचाव के उपाय करने के लिए विशेषज्ञों का बोर्ड बनाने का आदेश देने की भी मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इसी को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया और कहा कि टीकों के प्रतिकूल प्रभाव के कारण हुई मौतों व मुआवजे के लिए केंद्र को जिम्मेदार मानना उचित नहीं है।