देश के कई बीजेपी शाषित राज्यों में लगातार अपराधियों के घरों पर बुलडोजर चलाए जाने की ख़बरों के बीच शनिवार को गुवाहाटी हाईकोर्ट ने एक ऐसे ही मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई की। हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस आरएम छाया की पीठ ने सुनवाई के दौरान बुलडोजर कार्रवाई को लेकर असम सरकार के वकील से पूछा कि, ‘किस कानून के तहत बुलडोजर कार्रवाई की गई है? पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि किसी भी आपराधिक कानून के तहत मकानों पर बुलडोजर चलाने का प्रावधान नहीं है, भले ही कोई जांच एजेंसी किसी भी बेहद गंभीर मामले की जांच कर रही हो। पीठ ने जोर देकर पूछा, ‘अदालत को बताया जाए कि आपराधिक क़ानूनों में यह कहां लिखा है कि किसी अपराध की जांच के दौरान पुलिस बिना किसी आदेश के किसी व्यक्ति के घर पर बुलडोजर चला सकती है’?
Which law permits bulldozing house for investigating crime? Gauhati High Court slams State Police for bulldozing houses of 5 accused
report by @NarsiBenwal https://t.co/NfY9ChcIfE
— Bar & Bench (@barandbench) November 19, 2022
दरअसल, 17 नवंबर को गुवाहाटी हाईकोर्ट ने एसपी की ओर से पांच आरोपियों के मकानों पर की गई बुलडोजर कार्रवाई को लेकर राज्य सरकार से जवाब मांगा था। उसके बाद आज, शुक्रवार को वकील ने एसपी (पुलिस अधीक्षक) की ओर से की गई कार्रवाई को लेकर एक रिपोर्ट अदालत में सौंपी। इस पर कोर्ट ने कहा, ”आप किसी व्यक्ति पर उसके द्वारा किए गए किसी भी अपराध के लिए मुकदमा चला सकते हैं लेकिन पुलिस अधीक्षक को यह ताकत किसने दी कि वह किसी के घर पर बुलडोजर चला दे’। इस पर सरकारी वकील ने कोर्ट को इसके पीछे का मकसद बताने का प्रयास किया लेकिन हाईकोर्ट की बेंच ने प्रशासन को फटकार लगाया और कहा- ‘बुलडोजर की कार्रवाई के लिए आपके पास अनुमति होनी चाहिए। आप किसी जिले के पुलिस अधीक्षक हो सकते हैं, यहां तक कि आईजी और डीआईजी भी या आप कोई भी बड़े अफसर हों, सभी को कानून के दायरे से होकर जाना पड़ता है। सिर्फ इसलिए कि वह पुलिस के प्रमुख हैं, वह किसी का भी घर नहीं तोड़ सकते’।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर ऐसी कार्रवाई की इजाजत दे दी जाएगी तो इस देश में कोई भी सुरक्षित नहीं रह सकेगा। नियमों का पालन होना चाहिए। उन्होंने सवाल पूछा कि किस कानून के तहत बुलडोजर की कार्रवाई की अनुमति दी गई? अदालत की अनुमति के बिना आप किसी के घर की तलाशी तक नहीं ले सकते हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उन्होंने अपने न्यायिक करियर के दौरान आज तक कोई ऐसा पुलिस अफसर नहीं देखा जिसने तलाशी वारंट के रूप में बुलडोजर का इस्तेमाल किया हो। उन्होंने कहा, ”कम से कम मैंने मेरे करियर में अब तक ऐसा मामला नहीं सुना। मैंने किसी पुलिस अधिकारी को तलाशी वारंट के तौर पर बुलडोजर चलाते हुए नहीं देखा है।” उन्होंने कहा, ”कल कोई व्यक्ति इस कोर्टरूम में जबरन घुस आता है तो आप उसे बाहर निकालेंगे या उस कुर्सी को उखाड़ने लगेंगे, जिस पर वह बैठा हुआ है? ऐसा मामला नहीं सुना।”
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ”हमने ऐसा हिंदी फिल्मों में भी नहीं देखा है। इस घटना को रोहित शेट्टी के पास भेजा जाना चाहिए। हो सकता है वह इस पर एक अच्छी फिल्म बना दें।” उन्होंने सवाल उठाया कि ”यह गैंगवार है या पुलिस कार्रवाई? उन्होंने कहा कि वह अजय देवगन की एक फिल्म का नाम भूल रहीं हैं और उसमें भी अजय देवगन को अदालत का आदेश दिखाना पड़ा था। यह कोई तरीका नहीं है जिससे आप कानून और व्यवस्था की स्थिति को संभालें।
क्या है मामला?
एक मछली व्यापारी सफीकुल इस्लाम की कथित रूप से हिरासत में मौत के बाद आक्रोशित भीड़ ने 21 मई को बटाद्रवा थाने में आग लगा दी थी। इसके एक दिन बाद जिला प्रशासन ने सफीकुल इस्लाम सहित 6 लोगों के घरों में हथियार और ड्रग्स की तलाशी के नाम पर बुलडोजर चलवा दिया था।