आरिफ मोहम्मद खान जब से केरल के राज्यपाल बने हैं तब से उनके और राज्य सरकार के बीच का टकराव हमेशा ही मीडिया की सुर्ख़ियों में रहता है। एक ओर राज्यपाल केरल सरकार की आलोचना करने से पीछे नहीं हटते तो वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार भी उनके द्वारा लिए गए फैसलों को अलोकतांत्रिक ठहराती रहती है। ताजा मामला अब ये है कि केरल सरकार ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को कलामंडलम डीम्ड टू विश्वविद्यालय के चांसलर के पद से हटा दिया है।
दरअसल, केरल की वाम लोकतान्त्रिक मोर्चा (LDF) सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए केरल कलामंडलम डीम्ड विश्वविद्यालय के नियमों में संशोधन कर दिया है। अभी तक ये पद राज्य के राज्यपाल के पास रहा करता था, लेकिन नए नियमों के मुताबिक कला एवं संस्कृति क्षेत्र के किसी शख्स की इस पद पर नियुक्ति की जाएगी।
Kerala government amends the rules of Kerala Kalamandalam deemed university. As per the amended rule, the position of Chancellor will now be filled by "an eminent person in the field of Art and Culture appointed by the sponsoring body."
— ANI (@ANI) November 10, 2022
केरल की विजयन सरकार ने ये फैसला उस वक़्त लिया है जब विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर विवाद चल रहा है और राज्यपाल और सरकार के बीच टकराव की स्थिति है। राज्य सरकार सदन में एक अध्यादेश लाकर शिक्षण संस्थानों के शीर्ष पदों से राज्यपाल को हटाना चाहती है। ये टकराव इसी साल अगस्त में शुरू हुआ था जब केरल विधानसभा में एक अध्यादेश लाकर लोकायुक्त और राज्यपाल की शक्तियों को कम कर दिया गया था। केरल सरकार का कहना है कि वह नहीं चाहती कि राज्यपाल विश्वविद्यालयों के शीर्ष पदों पर रहें। तो अब ऐसी स्थिति में जबकि सरकार और गवर्नर के बीच पहले से तनाव का माहौल हो, तब राज्य सरकार का ये नया फैसला एक नए विवाद को जन्म दे सकता है।
केरल की शिक्षा मंत्री आर बिंदु ने इस मामले को लेकर कहा कि, अगर राज्यपाल को चांसलर पद से हटाने वाले अध्यादेश पर राज्यपाल हस्ताक्षर नहीं करेंगे तो अगले महीने विधानसभा में विशेष सत्र बुलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्यपाल अगर सरकार से सहमत नहीं होंगे तो सरकार अपना रुख स्पष्ट करेगी। तो वहीं राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा है कि ऐसा विवादास्पद अध्यादेश वह राष्ट्रपति को भेज देंगे।
इस मामले पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों ने केरल सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। दोनों पार्टियों ने फैसले का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि राज्य मंत्रिमंडल का फैसला केरल में विश्वविद्यालयों को ‘वामपंथी केंद्र’ बनाने के उद्देश्य से लिया गया है।
सरकार और गवर्नर के बीच इस वजह से है तकरार-
पिछले दिनों राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने केरल के 9 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से इस्तीफा मांगा था। राज्यपाल ने कुलपतियों को इस्तीफे का निर्देश देने के पीछे सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बताया था। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने यूजीसी के नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर एमएस राजश्री की नियुक्ति रद्द कर दिया था। इस आदेश के बाद से ही केरल सरकार और राज्यपाल के बीच तल्खियां बढ़ गई थी। राज्यपाल के निर्देश के बावजूद कुलपतियों ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने आरोप लगाया था कि कुलपतियों को निष्पक्ष न्याय से वंचित किया गया है।
Letters directing Vice Chancellors of nine Universities of Kerala to tender their resignation by 1130 a.m on 24 October 2022, have been issued. Letter also emailed to VCs and Registrars of varsities concerned :PRO, KeralaRajBhavan
— Kerala Governor (@KeralaGovernor) October 23, 2022