राजीव गांधी हत्याकांडः सुप्रीम कोर्ट ने नलिनी और रविचंद्रन समेत 6 दोषियों की रिहाई का दिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे छह दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया है। इन दोषियों में नलिनी श्रीहरन, श्रीहरन, संथन, मुरुगन, रॉबर्ट पायस और रविचंद्रन शामिल हैं। नलिनी और रविचंद्रन दोनों 30 साल से ज्यादा वक्त से जेल में हैं।
Supreme Court directs release of six accused including Nalini and RP Ravichandran, serving life imprisonment in connection with the assassination of former Prime Minister Rajiv Gandhi. pic.twitter.com/nguZY99Svc
— ANI (@ANI) November 11, 2022
Delhi | All six accused have been released following the judgment of SC for the fellow convict Perarivalan's case. All six have been released now: Lawyer of Convicts
Perarivalan was released by the Supreme Court on May 18 in ex-PM Rajiv Gandhi's assassination matter. pic.twitter.com/8Dga2nXnUc
— ANI (@ANI) November 11, 2022
18 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक और दोषी पेरारिवलन को रिहा कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई को जेल में अच्छे बर्ताव के कारण पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था। जस्टिस एल नागेश्वर की बेंच ने आर्टिकल 142 का इस्तेमाल करते हुए यह आदेश दिया था। पेरारिवलन 30 साल तक सलाखों के पीछे रहा था। हत्याकांड के समय पेरारिवलन 19 साल का था। उस पर LTTE के शिवरासन के लिए 9-वोल्ट की दो बैटरी खरीदने का आरोप था।
पेरारिवलन की रिहाई के आदेश के बाद बाकी दोषियों ने भी उसी आदेश का हवाला देकर कोर्ट से रिहाई की मांग की थी।
तमिलनाडु सरकार ने राज्यपाल से दोषियों को रिहा किए जाने की सिफारिश की थी-
तमिलनाडु सरकार ने राजीव हत्याकांड के दोषियों श्रीहरन और आरपी रविचंद्रन की रिहाई से पहले ही उनका समर्थन करते हुए कहा था कि उनकी उम्रकैद की सजा माफ करने को लेकर राज्य सरकार की 2018 की सलाह राज्यपाल पर बाध्यकारी है। दो अलग-अलग हलफनामों में, राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 9 सितंबर, 2018 को हुई कैबिनेट की बैठक में उसने सात दोषियों की दया याचिकाओं पर विचार किया था और राज्यपाल के सामने संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए इन दोषियों की आजीवन कारावास की शेष सजा माफ करने का प्रस्ताव रखा था।
राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई पर बोली कांग्रेस, SC का निर्णय नहीं है स्वीकार-
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कांग्रेस ने नाराजगी जताई है। कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत बताया। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा, ‘पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के अन्य हत्यारों को मुक्त करने का सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अस्वीकार्य और पूरी तरह से गलत है। कांग्रेस इसकी आलोचना करती है और इसे पूरी तरह से अक्षम्य मानती है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने भारत की भावना के अनुरूप काम नहीं किया।’
SC's decision to free remaining killers of former PM Rajiv Gandhi is unacceptable & completely erroneous. Congress criticises it & finds it wholly untenable. Unfortunate that SC not acted in consonance with spirit of India:Jairam Ramesh, Gen Secy in-charge Communications,Congress https://t.co/17IvZtN8dm pic.twitter.com/R1JrX0LAqY
— ANI (@ANI) November 11, 2022
इस हत्याकांड के 19 दोषी पहले ही हो चुके हैं रिहा-
इस मामले में कुल 41 लोगों को आरोपी बनाया गया था उसमे से 12 लोगों की मौत हो चुकी थी और तीन फरार हो गए थे। उसके बाद जो बाकी 26 लोग पकड़े गए थे उसमे श्रीलंकाई और भारतीय नागरिक थे। फरार आरोपियों में प्रभाकरण, पोट्टू ओम्मान और अकीला थे। आरोपियों पर टाडा कानून के तहत कार्रवाई की गई थी। करीब 7 साल तक कानूनी प्रक्रिया चलने के बाद 28 जनवरी 1998 को टाडा कोर्ट ने 1000 पन्नों का फैसला सुनाया जिसमे सभी 26 आरोपियों को मौत की सजा सुनाई गई। उसके बाद टाडा कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई और सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने इस पूरे फैसले को पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 26 में से 19 दोषियों को रिहा कर दिया। सिर्फ 7 दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा और फिर उसे भी बाद में बदलकर उम्रकैद कर दिया।
बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली में एक आत्मघाती हमले में LTTE की एक महिला द्वारा हत्या कर दी गई थी। महिला ने राजीव गांधी को माला पहनाई थी, इसके बाद धमाका हो गया। इस हादसे में 18 लोगों की मौत हुई थी।