छठ महापर्व का तीसरा दिन यानी रविवार, संध्या अर्घ्य का दिन है। रविवार शाम व्रती महिलाएं पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगी। छठ महापर्व का तीसरा दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर आता है। चार दिनों तक मनाए जाने वाले इस पर्व में तीसरा दिन सबसे प्रमुख होता है। महिलाएं दूध और पानी से सूर्य भगवान को अर्घ्य देती हैं। घाट पर पूजन सामग्री में बांस की टोकरी (पथिया) में फल, फूल, ठेकुआ, लड्डू, खाजा, गन्ना, मूली, कंदमूल और सूप रखा जाता जाता है। इस दिन जैसे ही सूर्यास्त होता है, लोग किसी नदी, तालाब या घाट पर एकत्रित होते हैं और व्रती महिलाएं सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं। संध्या अर्घ्य, 30 अक्तूबर (रविवार) को शाम 5 बजकर 34 मिनट पर दिया जाएगा।
छठ पूजा को आस्था का लोकपर्व कहते हैं। ये एक मात्र ऐसा पर्व है जिसमें सूर्य देवता की पूजा कर उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। सनातन धर्म में सूर्य की उपासना का विशेष महत्व है। कहते हैं कि सूर्य के प्रभाव से हम सबको आरोग्य, तेज और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि छठ पूजा पर सूर्य देवता और छठी मैया की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को संतान, सुख और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
सोमवार सुबह छठ पूजा का दूसरा अर्घ्य उगते सूर्य को-
इस दिन व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले ही पानी में खड़ी हो जाती हैं और उगते सूर्य देवता की पूजा करती हैं। इसके बाद उगते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है और फिर पूजा का समापन कर व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन सूर्योदय का समय सुबह 06 बजकर 27 मिनट है।
छठ महापर्व मनाने के पीछे की लोक कथाएं ये हैं-
पहली कथा – भगवान राम और सीता माता ने रावण के वध हो जाने के बाद कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन व्रत किया। सूर्य देवता की पूजा की और अगले दिन यानी सप्तमी को उगते सूर्य की पूजा की। तभी से छठ मनाने की परंपरा शुरू हुई।
दूसरी कथा – छठ मैया सूर्य देव की मानस बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए सूर्य देवता की पूजा की जाती है।
तीसरी कथा – छठ महापर्व की शुरुआत महाभारत के समय में हुई और सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने यह पूजा की। कर्ण अंग प्रदेश के राजा थे। कर्ण घंटों तक पानी में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देते थे और इन्हीं की कृपा से वो परम योद्धा बने।
चौथी कथा – ये कथा भी महाभारत काल से ही जुडी हुई है। पांडवों की पत्नी द्रौपदी सूर्य की उपासना करती थी। वो अपने परिजनों के स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना के लिए नियमित रूप से यह पूजा किया करती थीं।
छठ पूजा में महिलाएं अपने परिवार, बच्चों की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं। छठी मैया और सूर्य भगवान से परिवार में सुख समृद्धि की मांग करती हैं। मान्यता है कि छठी मैया व्रती महिलाओं की मांग पूरी करती हैं।