अहमदाबाद: में जहरीली शराब पीने से 46 लोगों की मौत और 100 से ज्यादा लोगों के बीमार पड़ने की खबर आई है जिसके बाद से तमाम तरह के सवाल उठने लगे है और ड्राई स्टेट के दावों की पोल खुलकर सामने आ गई है। जहरीली शराब पीने से46 लोगों की मौत और इससे उपजी भयानक स्थिति डरावनी है। यह जानकारी सामने आई है कि बोटाद जिले में 600 लीटर ‘मिथाइल अल्कोहल’ (मेथेनॉल) अहमदाबाद से लाया गया था। उसके बाद इसमें पानी मिलाकर जिले के विभिन्न इलाकों में बेच दिया गया। जिसके सेवन से या तो लोगों की जान चली गई या किडनी डैमेज हो गई है।
इतने खतरनाक रसायनिक पदार्थ के उत्पादन और बिक्री पर सरकार की कड़ी निगरानी होनी चाहिए। लेकिन इस मामले में जो हुआ उससे कई गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
अहमदाबाद से ‘मिथाइल अल्कोहल’ बोटाद जिले में लाया गया, उसमें पानी मिलाया गया और शराब के रूप में लोगों को बेच दिया गया। एक ड्राई स्टेट में इतना सब कुछ हो जाए और स्थानीय पुलिस-प्रशासन को भनक तक नहीं लगे, ये संभव नहीं है। जरूर इसके पीछे सत्ताधारी दल के नेता, पुलिस-प्रशासन और शराब माफियाओं की मिलीभगत रही होगी। और ये सिर्फ आरोप नहीं है इसके पीछे ठोस आधार भी है। क्योंकि रोजीद गांव के सरपंच लगातार प्रशासन को पत्र लिख कर बता रहे थे कि गांव में सरेआम देसी शराब की बिक्री हो रही है। सरपंच ने एसपी तक को पत्र लिखा और गृह मंत्री तक भी अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की कि गांव में खुलेआम शराब बेची जा रही है, असामाजिक तत्व महिलाओं को परेशान कर रहे हैं और गालियां दे रहे हैं। गांव में किसी बड़े हादसे की आशंका है। लेकिन इस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया।
जहरीली शराब से जिन लोगों की मौत हुई है उनके परिजनों का मीडिया में रोते हुए बयान है कि यहां कोई शराबबंदी नहीं है, खुलेआम शराब बिक रही है। यदि पूरे गुजरात की बात करें तो करीब 15,000 करोड़ रुपए का सालाना अवैध शराब का कारोबार हो रहा है। मोदी जी के गाँव वड़नगर से लेकर हर ज़िले में शराब का ग़ैर क़ानूनी धंधा फल फूल रहा है। 2009 में भी ऐसी ही त्रासदी हुई थी। 150 जानें गयी थी। उस वक्त जितने भी लोग सस्पेंड हुए थे, वे सब फिर से बहाल कर दिए गए। इस बार भी मामले की कुछ वैसे ही लीपापोती की जा रही है।
इस घटना के बाद दो जिलों के पुलिस अधिकारियों पर गिरी गाज-
गुजरात के गृह विभाग ने बोटाद और अहमदाबाद जिले के पुलिस अधीक्षकों का गुरूवार को तबादला कर दिया और छह अन्य पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है। आपको बता दें, जहरीली शराब पीने के कारण 42 लोगों की मौत होने के बाद यह बड़ी कार्रवाई की गई है। अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह, राजकुमार ने जानकारी देते हुए कहा, ‘‘हमने बोटाद के पुलिस अधीक्षक करणराज वाघेला और अहमदाबाद के पुलिस अधीक्षक वीरेंद्र सिंह यादव का तबादला कर दिया है।
इन्हें किया गया निलंबित
दो पुलिस उपाधीक्षकों, एक सर्किल पुलिस निरीक्षक, एक पुलिस निरीक्षक और दो सब-इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया है.’’ गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने बुधवार को बताया कि 25 जुलाई को बोटाद में जहरीली शराब पीने के बाद बोटाद और पड़ोसी अहमदाबाद जिले में अब तक 42 लोगों की मौत हो चुकी है। उन्होंने कहा था कि भावनगर, बोटाद और अहमदाबाद में कम से कम 97 लोग अस्पतालों में भर्ती हैं।
इतना बड़ा मामला हुआ, करीब 50 लोगों की जान गई, 100 से ज्यादा लोग जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं लेकिन न तो गृह मंत्री ने, न मुख्यमंत्री ने और ना ही प्रधान मंत्री ने मृतकों के परिवारों से मुलाक़ात की। हादसे के वक्त प्रधानमंत्री गुजरात में ही थे।
प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के गृह राज्य गुजरात में करोड़ों का ड्रग्स पकड़ा जाना और शराब के अवैध कारोबार का इस तरह फलना फूलना महज संयोग नहीं हो सकता है। यह स्पष्ट तौर पर सत्ता के संरक्षण में किया जा रहा प्रयोग है।
कांग्रेस ने आज मीडिया के माध्यम से इस घटना की निंदा करते हुऐ कुछ मांगे रखी है-
इस घटना की जांच होनी चाहिए। हाई कोर्ट के सीटिंग जज द्वारा जांच होनी चाहिए। क्योंकि जिस पुलिस पर आरोप है यदि वही जांच करेगी तो जांच का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
जहरीली शराब पीने की वजह से जिन लोगों की मौत हुई है उनमें से अधिकांश गरीब थे और घर चलाने की उन पर जिम्मेदारी थी। ऐसे परिवारों को समुचित मुआवजा दिया जाए।
इस कांड की वजह से जिनकी आंखें चली गई हैं या किडनी डैमेज हो गई है उनके लिए मुफ्त और बेहतर इलाज की व्यवस्था हो।
गुजरात, भाजपा राज में नशे के कारोबार का सबसे बड़ा ठिकाना बनता जा रहा है।
सवाल यह है कि- प्रधानमंत्री और गृह मंत्री मौन क्यों हैं?#शराबजीवी_भाजपा pic.twitter.com/5QSN4a8XTA— Congress (@INCIndia) July 29, 2022