कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने ताज़ा फैसले में ( प्राची सेन बनाम रक्षा मंत्रालय और अन्य ) मामलें में सुनवाई करते हुये कहा कि मातृत्व अवकाश समाप्त होने के बाद वर्क फ्रॉम होम का लाभ किसी महिला कर्मचारी को तभी दिया जा सकता जब उसके नौकरी और सौंपे गये काम को घर से पूरा किया जा सकता हैं।
न्यायमूर्ति आर देवदास ने रक्षा मंत्रालय और विकास संगठन (डीआरडीओ) के तहत एक इकाई सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी एंड एप्लाइड रिसर्च सेंटर (एसटीएआरसी) में एक महिला कर्मचारी को चाइल्डकैअर अवकाश से राहत देने से इनकार कर दिया।
कोर्ट ने कहा “हालांकि (मातृत्व लाभ अधिनियम), 1961 की धारा 5(5) का संदर्भ दिया गया है, उक्त प्रावधान से ये स्पष्ट है कि उक्त प्रावधान से यह स्पष्ट है कि मातृत्व लाभ प्राप्त करने के बाद घर से काम करने जैसे मातृत्व लाभ केवल तभी दिए जा सकते हैं जब महिलाओं को सौंपे गए कार्य की प्रकृति ऐसी है कि उनके लिए घर से काम करना संभव है।
चौथे प्रतिवादी-संगठन के साथ काम करने वाले कर्मचारी अनुसंधान कार्य में शामिल हैं जो संवेदनशील होने के साथ-साथ जटिल भी है। संवेदनशील, किए गए कार्य की प्रकृति में, इस अर्थ में कि अनुसंधान भारत सरकार के लाभ के लिए है जो रक्षा क्षेत्रों में सुविधा का उपयोग करता है और अनुसंधान कार्य जनता के लिए प्रकट नहीं किया जाएगा। यह स्वयं सिद्ध होगा कि याचिकाकर्ता को सौंपे गए कार्य की प्रकृति घर से नहीं की जा सकती है।”
अदालत ने, हालांकि, कहा कि उसके लिए बगल के परिसर में क्रेच सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी, और प्रतिवादी-संगठन को सहानुभूति के साथ नियमितीकरण के लिए उसके प्रतिनिधित्व पर विचार करना चाहिए।
वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता उक्त केंद्र में वरिष्ठ कार्यपालन यंत्री के पद पर आठ वर्ष से उक्त पद पर कार्यरत थी।
अगस्त 2020 में, उसने एक बच्ची को जन्म दिया और फरवरी तक मातृत्व अवकाश का लाभ उठाया। इसके बाद, उसने अप्रैल 2021 तक व्यक्तिगत अवकाश का उपयोग किया। उसने तर्क दिया कि COVID-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान, उसे अन्य कर्मचारियों के साथ घर से काम करने का लाभ दिया गया था।
उसने चाइल्डकैअर लीव की मंजूरी, अपने वेतन को नियमित करने और अपने रोके गए वेतन को जारी करने की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया।
प्रतिवादी-संगठन ने तर्क दिया कि जब याचिकाकर्ता अपनी स्वीकृत छुट्टी समाप्त होने के बाद ड्यूटी में शामिल नहीं हुई, तो उसे यह कहते हुए नोटिस भेजा गया कि वह बिना छुट्टी के काम से दूरी बना कर चल रही है। इसको बिना इजाजत छुट्टी मानी जायेगी। और उस समय के लिए वो वेतन की हकदार नहीं होंगी और इसके लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाएगी।