उत्तराखंड विधानसभा चुनाव की गजट अधिसूचना 28 जनवरी को जारी होते ही 81 लाख वोटरों के इस पहाड़ी राज्य में नया सियासी दंगल शुरू हो जाएगा। ये दंगल 14 फरवरी को वोटिंग और काउंटिंग के बाद किसी की भी नई सरकार बनने तक चलेगा। सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में वोटिंग ईवीएम से एक ही चरण में 14 फरवरी को पूरी कर ली जायेगी। वोटों की काउंटिंग उत्तराखंड , उत्तर प्रदेश, पंजाब , गोवा और मणिपुर के पांचों राज्यों के चुनाव की मतगणना में एकसाथ 10 मार्च को होगी।
उत्तराखंड चुनाव में नामांकन पत्र भरने की अंतिम तिथि 28 जनवरी है। अगले दिन उनकी जांच होगी। नामांकन 31 जनवरी तक वापस लिए जा सकते है।
देश में पसरी कोरोना -एमीक्रॉन महामारी के मद्देनजर निर्वाचन आयोग ने चुनावी रैलियों ,रोड शो, बाइक रैली, नुक्कड़ सभाओं पर 15 जनवरी तक रोक लगा दी है। सिर्फ अप्रत्यक्ष आभाषीय (वर्चुअल) कैंपेन की अनुमति है।निर्वाचन आयोग के इस कदम के पहले ही प्रधानमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता नरेंद्र मोदी की उत्तराखंड में चार बार चुनावी रैलिया हो चुकी थी। चुनावी रैलियों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी आए- गए ।
निर्वाचन आयोग की तैयारी
इस बार के चुनाव के लिए तीन लाख नए वोटर दर्ज किये गए हैं जिनकी बदौलत कुल मतदाताओँ की तादाद 81 लाख पार कर गई है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या के मुताबिक महामारी से निपटने के लिए निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देश अनूरूप पोलिंग बूथ पर आने वाले हर वोटर को दस्ताने और सभी मतदान कर्मियों को पीपीई किट और सैनिटाइजर दिए जाएंगे। करीब 99.9 फीसद कर्मचारियों को पहली और 78 फीसद को दूसरी डोज लग चुकी है।जिन कर्मियों को दोनों ही डोज लगी होंगी उन्हीं की चुनाव ड्यूटी पर तैनात किया जाएगा। वोटर को स्याही लगाने के बाद ग्लव्स पहनकर ही इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम ) का बटन दबाने की अनुमति मिलेगी। अस्पताल में भर्ती या होम क्वारंटीन मरीजों को पोस्टल बैलेट का इस्तेमाल करने का विकल्प होगा। उनके मतदान की पूरी प्रक्रिया स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों की देखरेख में होगी। 80 वर्ष से अधिक के करीब दो लाख वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों को इस बार विधानसभा चुनाव में पोस्टल बैलेट की सुविधा दी जा रही है। 80 पार आयु के एक लाख 58 हजार 742 वोटर में 68 हजार 428 पुरुष, 90 हजार 312 महिला और दो अन्य श्रेणी (थर्ड जेंडर) के हैं। 68 हजार 478 दिव्यांग वोटर हैं जिनमें 43 हजार 672 पुरुष और 24 हजार 805 महिला हैं। एक थर्ड जेंडर की श्रेणी में है। अतिआवश्यक सेवाकर्मियों को पोस्टल बैलेट की पहले से मिली सुविधा जारी है। पोस्टल बैलेट के लिए निर्धारित फॉर्म 12-डी भरना होगा।
सल्ट विधानसभा सीट पर उपचुनाव में किये प्रयोग के सफल रहने के बाद मद्देनजर कई क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं और दिव्यांगों को पोलिंग बूथ तक लाने के लिए डोली की सुविधा भी दी जाएगी। कोरोना संकट को देखते हुए उम्मीदवारों को ऑनलाइन नामांकन की भी सुविधा दी जाएगी। चुनाव आचार संहित तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है। अब सरकार जनता को लुभाने की घोषणायें नहीं कर सकती है।
निर्वाचन आयोग के मुताबिक राज्य में कुल 82,37,886 मतदाता है। इनमें 42,24,288 पुरुष , 39,19,334 महिला,300 अन्य (थर्ड जेंडर) के और 93,964 सर्विस मतदाता है। 1,58,008 नए वोटर है। कुल 11,647 मतदान केंद्र बनाए जा रहे है।
भाजपा-
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि भाजपा उत्तराखंड में फिर अपनी सरकार बनाएगी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के मुताबिक पार्टी प्रत्याशियों का चयन उसके संसदीय बोर्ड की दिल्ली की बैठक में करने के बाद उनके नामों की घोषणा नामाकंन शुरू होने के पहले कर दी जाएगी। पार्टी ने सभी 1235 बूथों पर तैयारी की है। पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक की अध्यक्षता मे एक कमेटी चुनाव घोषणापत्र तैयार कर रही है।
इस बीच धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की भाजपा के उत्तराखंड के चुनाव प्रभारी एवं मोदी सरकार में संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी से भेंट के बाद पार्टी के टिकटार्थियों की लाइन लगने लगी है।खबर है रावत जी ने अपनी पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं के लिए लैंसडाउन विधानसभा सीट से टिकट मांगा है। वह पिछले चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए थे.
कांग्रेस-
कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के मुताबिक पार्टी ने 45 विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवारों का चयन कर लिया है। पार्टी चुनाव आयोग की गाइडलाइन के अनुसार ही प्रचार में जुटेगी। उन्हें लगता है भाजपा सरकार की विदाई तय है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल चुनाव ने कहा चुनाव के लिए पार्टी की पूरी तैयारी है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत भी कांग्रेस की संभावित प्रत्याशी बताई जाती है।
आप-
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी( आप) 70 विधानसभा क्षेत्रों के लिए अलग-अलग घोषणा पत्र जारी करेगी। उसने 24 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। पार्टी ने सत्ता में आने पर हर परिवार को 300 यूनिट मुफ्त बिजली, रोजगार, मुफ्त तीर्थ यात्रा, 18 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को प्रतिमाह एक हजार, ‘ शहीदों ‘ के परिजनों को एक एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता और पूर्व फौजियों को सरकारी नौकरी में आरक्षण की सुविधा देने का वादा किया है। आप नेता कर्नल अजय कोठियाल के मुताबिक उनकी पार्टी चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार है। आप पहली बार उत्तराखंड चुनाव लड़ रही है।
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने हरिद्वार जिले की 5 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए है।यूपी के ही पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) का उत्तराखंड में कोई खास असर नहीं है। बसपा के प्रत्याशी उत्तराखंड विधानसभा के पूर्व के चुनावों में जीते थे। पर 2017 के पिछले चुनावों में बसपा कोई सीट नहीं जीत सकी।
चुनावी अखाड़े में उत्तराखंड क्रांति दल, बहुजन समाज पार्टी, वामपंथी दल और कुछ अन्य राजनीतिक पार्टियां भी हैं।
राज्य में भाजपा और कांग्रेस दो-दो बार सरकार बना चुकी हैं। केंद्र में भाजपा की अटल बिहारी वाजपेई सरकार के दौरान नौ नवंबर 2000 को उत्तराखंड के नए राज्य का गठन होने पर पहले भाजपा ने ही अंतरिम सरकार बनाई थी। अंतरिम विधानसभा में 30 सदस्य में सर्वाधिक 17 भाजपा के थे। कांग्रेस 2002 का पहला विधानसभा चुनाव जीत कर सत्ता में आ गई। भाजपा ने 2007 का चुनाव जीत कर सरकार बनाई। लेकिन अगले ही बरस 2012 में कांग्रेस सत्ता में लौट आई। 2017 के पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 57 सीट जीत प्रचंड बहुमत हासिल किया था। कांग्रेस 11 सीटों पर सिमट गई। हरीश रावत पिछले चुनाव में मुख्यमंत्री होते हुए दो सीटों से लड़े और दोनों जगह हारे। भाजपा के त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री बने।
पिछला चुनाव-
2017 में पिछले विधान सभा चुनाव में भाजपा ने 46.51 फीसद वोट शेयर के साथ 57 सीटें जीती थी। कांग्रेस ने 33.49 फीसद वोट शेयर हासिल कर 11 सीटें जीती। बसपा को 7.04 फीसद और उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) को 1.00 फीसद वोट मिले पर कोई सीट नहीं मिल सकी। दो निर्दलीय जीते।
उत्तराखंड हाईकोर्ट-
इस बीच उत्तराखंड हाईकोर्ट चुनाव ऑनलाइन कराने की याचना करने वाली एक जनहित याचिका पर 12 जनवरी को आगे की सुनवाई करने वाला है। अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली सचिदानंद डबराल और अन्य की याचिका के मुताबिक चुनावी सभाओं में कोविड नियमों का पालन नहीं है। इस पर हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। याचिका के मुताबिक महामारी से बचाव के दिशा निर्देश का राज्य में कड़ाई से पालान नहीं किया जा रहा है इसलिए चुनाव ऑनलाइन कराने की दरकार है। याचिका में इंगित किया गया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने सक्रमित होने के बावजूद 3 जनवरी को देहरादून के परेड ग्राउंड में चुनावी रैली की थी।
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बहरहाल , देखना है कि कोरोना -एमीक्रॉन महामारी के मद्देनजर वोटिंग कितने सुचारु रूप से हो पाती है। इतना तय है कि भाजपा) के लिए उत्तराखंड का चुनावी पहाड़ पार करना इस बार उतना आसान नहीं होगा जितना पिछली दफा 2017 में हो गया था। इस बार खास बात ये भी है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए भाजपा में ही नहीं उसके प्रतिस्पर्धी कांग्रेस में भी खुले या छुपे अनेक दावेदार हैं। पृथक राज्य उत्तराखंड, झारखंड और छतीसगढ़ का गठन भारत की केन्द्रीय सत्ता में भाजपा की ही अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने किया था। इन 21 बरस में अभी कांग्रेस शासित आदिवासी-बहुल छत्तीसगढ़ में तीन ही मुख्यमंत्री बने। लेकिन उत्तराखंड में भाजपा को 2017 के पिछले चुनाव के बाद 5 बरस में ही तीन बार अपने मुख्यमंत्री बदलने पड़ गए।
(हर बुधवार को तक्षकपोस्ट के विशेष चर्चा में आप पढ़ते है चंदप्रकाश झा के एक्सपर्ट व्यू। ) विधानसभा चुनावों पर हम लगातार रोचक और सटीक जानकारी लेकर आते रहेंगे।