प्रयागराज: निजीकरण तथा बैंकिंग कानून संशोधन बिल के विरोध में अफसर और कर्मचारी लगातार दूसरे दिन भी हड़ताल पर रहे। हड़ताल की वजह से बैंकों की ज्यादातर शाखाएं नहीं खुली। बताया गया है हड़ताल से करीब पांच अरब रुपये का बैंकिंग कारोबार ठप रहा। शाखाओं में तालाबंदी की वजह से ग्राहकों को भी परेशानी उठानी पड़ी। चेक फंसे रह जाने से व्यापारियों को ज्यादा परेशानी उठानी पड़ी तथा भुगतान रुक गए।
युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस की ओर से घोषित हड़ताल में एसबीआई समेत सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों के कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए। इसकी वजह से बैंक शाखाआें के अलावा क्लीयरिंग हाउस में भी काम ठप रहा। इससे अरबों रुपये के चेक ही फंस गए हैं। सके अलावा बैंकों में प्रशासनिक कार्य भी प्रभावित रहा। पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत कर्मचारी पहले अपनी-अपनी शाखाओं में पहुंचे। वहां तालाबंदी सुनिश्चित करने के साथ धरना दिए। इसके बाद रैली बनाकर वे इंडियन बैंक की सिविल लाइंस शाखा परिसर में आयोजित केंद्रीय सभा में शामिल हुए।
सरकार की नीतियों के खिलाफ नारेबाजी-
सभा में वक्ताओं ने निजीकरण तथा बैंकिंग कानून संशोधन बिल का विरोध किया। उन्होंने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए जमकर नारेबाजी की। ऑफिसर्स एसोसिएशन के राजेश तिवारी ने निजीकरण एवं बिल से होने वाले नुकसान पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि 2017 के बाद से कर्मचारियों की संख्या 70 हजार से अधिक कम हो गई है। वहीं इस दौरान चार से अधिक शाखाएं बंद हो गईं।
बैंक कर्मियों की हड़ताल को केंद्रीय एवं राज्य कर्मचारियों ने भी समर्थन दिया। इनके अलावा कई अन्य संगठनों ने भी हड़ताल का समर्थन किया और आंदोलन में शामिल हुए। इलाहाबाद डिवीजन इंश्योरेंस इंप्लाइज यूनियन से जुड़े कर्मचारियों ने हड़ताल के समर्थन में क्षेत्रीय कार्यालय गेट पर सभा की। इस मौके पर कर्मचारियों का कहना था कि सरकार बैंकों में जमा 157 लाख करोड़ रुपये सीधे-सीधे निजी हाथों में सौंपना चाहती है।वहीं हड़ताल के समर्थन में ऐक्टू की ओर से सिविल लाइंस में पत्थर गिरजाघर के पास धरना दिया गया। संगठन की ओर से जार्जटाउन स्थित बिजली विभाग के कार्यालय पर भी प्रदर्शन किया गया। इसके बाद सदस्य बैंक कर्मियों के आंदोलन में शामिल हुए।
कांफेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्मेंट इंप्लाइज एंड वर्कर्स के ने भी हड़ताल का समर्थन किया। ऑल इंडिया ऑडिट एंड एकाउंट एसोसिएशन ने भी हड़ताल का समर्थन किया।
कौशाम्बी जिले में भी हड़ताल का असर-
मंडल के कौशाम्बी जिले में भी बैंक कर्मचारियों की पूरा असर दिखा। बैंकों में लेन-देन रूकने से जनजीवन पर भी असर पड़ा।जनपद में लगभग 65 बैंक शाखाएं हैं। इसके अलावा लगभग 60 एटीएम हैं। गुरुवार को बैंकों ने निजी करण के विरोध में बैंकों ने हड़ताल कर दी। बैंकों के कर्मचारी इस मामले को लेकर लामबंद रहे। सभी बैंकों में ताला लटकता रहा। बैंक कर्मचारियों ने बताया कि निजीकरण के खिलाफ बैंककर्मियों ने दो दिवसीय हड़ताल का ऐलान किया है। शुक्रवार को भी बैंक बंद रहेगा। गुरुवार को बैंक बंद होने से करोड़ों रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ। व्यापारी रुपया निकालने व जमा करने के लिए हलाकान रहे। आर्डर देने के लिए लोग बैंक में रुपया जमा करने गए तो पता चला कि हड़ताल है। व्यापारी बैंक बंद होने की वजह से दिन भर परेशान रहे। वहीं सामान्य ग्राहक भी इस हड़ताल से प्रभावित रहा। जरूरत पड़ने पर लोग बैंक गए तो पता चला कि ताला बंद है। एटीएम लोग गए तो वहां से भी मायूसी ही हाथ लगी। जिला मुख्यालय के ही कई एटीएम से रुपया लोगों को नहीं मिला। अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजन भी बैंक बंद होने से हलाकान रहे। वह रुपये के लिए इधर-उधर दौड़ते रहे।