विगत सोमवार 11 अक्टूबर 2021 को केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी किये गए एक आदेश के मुताबिक़ पाकिस्तान और बांगला देश की सीमाओं से लगे भारत के सीमान्त राज्यों में जहां शांति के दौर में सीमाओं पर सेना के स्थान पर केन्द्रीय अर्ध सैनिक बल सीमा सुरक्षा बल यानी बॉर्डर सिक्योरिटी फ़ोर्स (BSF) के जवानों की तैनाती की जाती है। वहां बीएसऍफ़ को सुरक्षा संचालन में तेजी और मुस्तैदी लाने की गरज से अतिरक्त पुलिसिया अधिकार दिए गए हैं।
इन अधिकारों के मिलने से BSF जैसी फ़ोर्स का खुश होना तो स्वाभाविक है लेकिन स्थानीय पुलिस के जवान और अधिकारी नाराज हैं। ये खाकी वर्दी का तिलिस्म है कि परेशान होने के बावजूद पुलिस के जवान और अधिकारी अपने अधिकार छीन लिए जाने के बावजूद कुछ बोल नहीं पाते लेकिन उन राज्यों में जहां गैर भाजपा राजनीतिक दलों की सरकारें हैं, वहां के मुख्यमंत्रियों समेत राज्य के पुलिस प्रशासन ने केंद्र सरकार के इस कदम की कड़ी निंदा की है। विपक्षी दलों के नेताओं ने इस मामले पर केंद्र द्वारा राज्यों के अधिकार छीनने की बात कही है।
इस मसले पर सबसे अधिक मुखर पंजाब के कांग्रेस मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी दिखाई दे रहे हैं। समान्त राज्यों के मुख्यमंत्रियों और विपक्ष के नेताओं की चिंता इस बात की है कि इस मामले में केंद्र सरकार ने BSF को सीमा रेखा के 50 किलोमीटर अन्दर तक के इलाके में घुसपैठियों को गिराफ्तार करने और इस समबन्ध में अन्य कानूनी कारवाई के अधिकार प्रदान कर स्थानीय प्रशासन और पुलिस के अधिकारों का अतिक्रमण किया है। पहले BSF के पास सीमा रेखा के सिर्फ 15 किलोमीटर अन्दर टाक के दायरे में ही ये सारे अधिकार प्राप्त थे। अब दायरा बढ़ने से BSF पंजाब के अमृतसर जिले की शहरी सीमा तक भी इस तरह की कार्रवाई कर सकेगी। यही स्थिति देश के उन सभी सीमांत राज्यों के सीमावर्ती जिलों की भी होगी जो सीमा रेखा से 50 किलोमीटर के दायरे में आते हैं।
नए आदेश से अलबत्ता देश के गुजरात जैसे कुछ राज्यों को राहत जरूर मिलेगी जहां BSF को अब तक सीमारेखा के अन्दर 80 किलोमीटर के दायरे में घुसपैठियों के खिलाफ कानूनी कारवाई करने के अधिकार मिले हुए थे। नए आदेश के बाद अब बांग्लादेश और पाकिस्तान की सीमा से लगे सभी सीमावर्ती जिलों में बीएसएफ के पास एक जैसे अधिकार होंगे। नए आदेश के तहत पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा तलाशी और गिरफ्तारी करने के अधिकार क्षेत्र को बढ़ा दिया गया है। इन राज्यों में पहले बीएसएफ के ये अधिकार राज्यों की सीमा के अंदर 15 किलोमीटर तक सीमित थे, वहीं अब इन्हें बढ़ा कर 50 किलोमीटर तक लागू कर दिया गया है। इनके अलावा गुजरात में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को 80 किलोमीटर से घटा कर 50 किलोमीटर कर दिया गया है। राजस्थान में इसे पहले की तरह 50 किलोमीटर तक बरकरार रखा गया है। मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय के पूरे इलाके में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को पहले की तरह बनाए रखा गया है। इस समय भले ही कांग्रेस इसका विरोध कर रही हो। लोकतंत्र में विपक्ष को सरकार की किसी भी कार्रवाई का विरोध करने का अधिकार है। इसी अधिकार के चलते आज कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल केंद्र की मौजूदा राजग सरकार के इस फैसले का विरोध भी कर रहे हैं लेकिन असलियत तो यह है कि बीएसएफ़ के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने का प्रस्ताव साल 2011 में भी तब किया गया था जब केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व में संप्रग सरकार वजूद में थीं। मजेदार बात यह है कि तब विपक्ष की भूमिका निभा रही भाजपा ने ठीक उसी तरह इस मसौदे के विरोध किया था जिस तरह आज कांग्रेस इसके विरोध में डट कर खड़ी है। फर्क सिर्फ इतना है कि आज से एक दशक पहले कांग्रेस सरकार सिर्फ प्रस्ताव लाई थी लेकिन आज की भाजपा सरकार ने इसे लागू भी कर दिया है।
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम यह प्रस्ताव लाये थे। इस प्रस्ताव का भाजपा ने विरोध किया था तब इसके एक साल बाद 2012 में पी चिदंबरम ने मार्च महीने में, राज्यसभा में इससे संबंधित बिल विधेयक पेश किया था। जिसमें सीमा सुरक्षा बल अधिनियम,1968 के अनुभाग 139 में संशोधन का प्रावधान किया गया था. बिल पेश करते हुए राज्य सभा में पी चिदंबरम ने ये भी कहा था कि सीमांत क्षेत्रों में किसी अर्धसैनिक बल को इस विधेयक के तहत विशेष अधिकार देने के प्रावधान सिर्फ सीमा सुरक्षा बल तक ही लागू होंगे क्योंकि यह बल सिर्फ़ देश की सरहदों के आसपास ही सीमित है और समय – समय पर इसी बल इस अर्धसैनिक बल की सेवाएं जरूरत पड़ने पर को देश के विभिन्न हिस्सों में क़ानून व्यवस्था का पालन करने के लिए भी ली जाती हैं। केंद्र सरकार ने यह आदेश भारत सरकार के सीमा सुरक्षा बल अधिनियम, 1968 की उस धारा 139 के तहत जारी और लागू किया है जो केंद्र को बल के अधिकार क्षेत्र को अधिसूचित करने का अधिकार देती है। संवैधानिक प्रावधान के तहत यह व्यवस्था भी है कि जरुरत पड़ने पर ऐसा कोई भी आदेश संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखा जाए। संसद के सदन सदन इन आदेशों को संशोधित या रद्द कर सकते हैं। नया आदेश आने के बाद बीएसएफ अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी कहीं भी तलाशी और गिरफ्तारियां कर सकेगी।
माना जा रहा है कि सीमान्त जिलों में इस अर्ध सैनिक बल को यह अधिकार देने का इनका उद्देश्य बीएसएफ की कार्यक्षमता को बढ़ाना है। इसी संदर्भ में यह दावा भी किया जा रहा है कि नए बदलाव सी पंजाब और जम्मू-कश्मीर में सीमा पार से आने वाले ड्रोनों के जरिए आतंकी हमले और ड्रग्स और हथियारों की आपूर्ति को रोकने में मदद मिलेगी जबकि पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का मानना है कि केंद्र सरकार का यह आदेश देश के संघीय ढांचे पर “सीधा हमला” है।