सितंबर का महीना भारतवासियों के लिए कुछ ख़ास तो है। इस महीने की पांच तारीख यानी 5 सितम्बर को आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति और संसद के ऊपरी( उच्च ) सदन के प्रथम सभापति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। इसी महीने की चौदह तारीख यानी 14 सितम्बर को हिंदी दिवस का आयोजन किया जाता है, और इसी दिन से 28 सितम्बर तक चलने वाले राजभाषा पखवाड़े की शुरुआत भी होती है।
इस महीने की एक ख़ास बात यह भी है कि यह महीना इतिहास की उस तारीख का भी गवाह है जिस तारीख को एक ऐसे व्यक्ति ने जन्म लिया जो आजाद भारत में पैदा होने वाला देश का पहला प्रधानमंत्री भी बना। इतिहास की वह ख़ास तारीख है 17 सितम्बर 1950। इसी दिन आज के गुजरात ( जो तब बॉम्बे स्टेट का हिस्सा हुआ करता था) के मेहसाणा जिले के बडनगर कस्बे में नरेंद्र मोदी का जन्म हुआ था , यही नरेंद्र मोदी 26 मई 2014 को पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने थे। 2014 का यह वो साल था जब सबसे अधिक समय तक देश की केन्द्रीय सत्ता में काबिज रहने वाली कांग्रेस पार्टी को 1977 , 1989 और 1996 के बाद चौथी बार बार देश की केन्द्रीय सत्ता से हाथ धोना पड़ा था।
आजाद भारत के इतिहास की ये तीन तारीखें ऐसी हैं जब कांग्रेस ने केन्द्रीय सत्ता गंवाने के कुछ साल बाद ही सत्ता में वापसी कर ली थी लेकिन 2014 की चोट कांग्रेस को इतनी भारी पड़ी कि आज 2021 तक भी उसकी केन्द्रीय सत्ता में वापसी नहीं हो सकी है और निकट भविष्य में भी कांग्रेस के सत्ता में वापस आने की कोई सम्भावना नजर नहीं आ रही है।
यह सब इसलिए हो सका क्योंकि गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा लड़ा था तब भाजपा को लोकसभा में तब तक का सबसे बड़ा बहुमत मिला था। लोकसभा की करीब तीन सौ सीट जीतने का मौका तो भाजपा को 1989 के उस चुनाव में भी नहीं मिल सका था जब पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में हिन्दू मतों के भाजपा के पक्ष में ध्रुवीकरण करने के उद्देश्य से देशभर में राम रथ यात्रा का आयोजन किया गया था। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में तो नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा को पहले से भी ज्यादा सीटें हासिल हो गई। इसके चलते श्री मोदी देश के प्रधानमंत्री पद पर बने हुए हैं। वैचारिक स्तर पर नरेंद्र मोदी के साथ तमाम तरह की असहमतियों के बावजूद राजनीति की इस सच्चाई से इनकार नहीं किया जा सकता कि भारतीय राजनीति में वो एक फिनोमेना हैं।
उनके काम करने के तरीके से भी असहमति हो सकती है लेकिन उनकी फैन फॉलोइंग से कैसे मुंह मोड़ सकते हैं। कहना गलत नहीं होगा कि कई मामलों में वो अपने पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों से कहीं आगे हैं। अपनी वाक्पटुता से श्री मोदी पैर विहीन व्यक्ति को पहाड़ पर चढ़ने , नेत्र विहीन व्यक्ति को अँधेरे में भी सब कुछ दिखाई देने और श्रवण दोष के व्यक्ति को इशारों ही इशारों में जटिल से जटिल काम करने की प्रेरणा दे देते हैं। सार्वजनिक संबोधन के समय उनका विश्वास देखते ही बनता है। अपने इन्हीं गुणों के चलते नरेन्द्र मोदी देश में ही नहीं विदेशों में भी अपनी एक अलग और नई पहचान बनाने में कामयाब रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि नरेन्द्र मोदी से पहले देश के जितने भी प्रधानमंत्री हुए हैं उन सब की पैदाइश देश की आजादी( 1947 ) से पहले की है। नरेंद्र मोदी का जन्म जिस परिवार में हुआ था उस परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इनके पिता एक छोटे व्यापारी थे, जिन्होंने अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए काफी संघर्ष किया था. उनकी मां एक गृहिणी महिला हैं। नरेन्द्र मोदी की गिनती देश के एक ऐसे प्रधानमंत्री के रूप में भी की जाती है जो पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की तरह संघर्ष करते हुए राजनीति के शीर्ष पद तक पहुंचा है। कहते हैं कि जिस तरह शास्त्री जी आर्थिक अभाव के चलते स्कूल जाने ले लिए गंगा नदी तैर कर जाते थे उसी तरह नरेन्द्र मोदी ने भी जीवन के शुरुआती दौर में अपने परिवार का भरण – पोषण करने के लिए अपने भाइयों के साथ रेलवे स्टेशन में और फिर बस टर्मिनल में चाय भी बेची थी। समाज के पिछड़े वर्ग के परिवार से ताल्लुक रखने वाले नरेंद्र मोदी जी अपने माता – पिता की तीसरी संतान हैं। उनके के बड़े भाई सोमा मोदी की उम्र वर्तमान में 75 वर्ष हैं, वे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी रह चुके हैं। इनके दूसरे बड़े भाई अमृत मोदी एक मशीन ऑपरेटर हैं, जिनकी उम्र 72 साल है. इसके बाद उनके 2 छोटे भाई है, एक प्रहलाद मोदी जिनकी उम्र 62 साल हैं, वे अहमदाबाद में एक दुकानदार हैं और उनके दूसरे छोटे भाई दूसरे पंकज मोदी गांधीनगर स्थित राज्य सूचना विभाग में तृतीय श्रेणी के एक कर्मचारी के रूप में कार्यरत हैं। श्री मोदी का विवाह घांची समुदाय की परंपरा के अनुसार 18 साल की उम्र में सन 1968 में जशोदा बेन चिमनलाल के साथ हुआ था। उनकी पत्नी जशोदाबेन गुजरात के एक सरकारी स्कूल की अवकाश प्राप्त शिक्षिका हैं।
नरेंद्र मोदी जी की शुरूआती शिक्षा वडनगर के स्थानीय स्कूल से पूरी हुई, उन्होंने वहां सन 1967 तक अपनी हायर सेकेंडरी तक की पढ़ाई पूरी कर ली थी। उसके बाद उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण उन्होंने अपना घर छोड़ दिया था, और फिर उन्होंने पूरे भारत में भ्रमण कर विविध संस्कृतियों की खोज की, इसके लिए मोदी जी ने उत्तर भारत में स्थित ऋषिकेश एवं हिमालय जैसे स्थानों का दौरा किया। बताते हैं किपढ़ाई के दौरान नरेन्द्र मोदी एक सामान्य विद्यार्थी ही थे लेकिन उनकी वाद – विवाद की कला बेहतरीन थी.अपनी इसी प्रतिभा की बदौलत नरेन्द्र मोदी ने अपना जीवन पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और बाद में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्णकालिक प्रचारक के रूप में बिताना शुरू कर दिया था।
इसी प्रक्रिया के अनुसरण में वो बाद में भारतीय जनसंघ और भाजपा से भी जुड़े इसी की बदौलत नरेन्द्र मोदी करीब डेढ़ दशक तक गुजरात के मुख्यमंत्री भी रहे और बाद में देश के प्रधानमंत्री बने। नरेन्द्र मोदी ने औपचारिक रूप से 1987 में भाजपा की सदस्यता ली थी और पहली बार अहमदाबाद नगरपालिका चुनाव में भाजपा के अभियान को व्यवस्थित करने में मदद की, इसमें भाजपा की जीत हुई.इसी साल वो भाजपा की गुजरात इकाई के महासचिव बनाए गए थे। 1990 में श्री मोदी ने लालकृष्ण आडवाणी की अयोध्या रथ यात्रा के संचालन में भाग लिया और यहीं से उनके भाग्य का जबरदस्त तरीके से उदय भी हुआ।