धरती के भगवान अन्नदाता किसान को लूटने वाली पाखंडी और पापी मोदी सरकार के पाप का घड़ा अब भर गया है। ऐसा लगता है कि मोदी सरकार किसानों को धोखा देने के लिए ही जन्मी है। मोदी सरकार की अब तक जितनी तथाकथित किसान हितैषी योजनाएं हैं, वो बुनियादी रूप से अपने मुट्ठीभर पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने तक सीमित रखी गई हैं। चाहे वो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना हो, चाहे 25,000 रु. प्रति हेक्टेयर खेती की अतिरिक्त लागत बढ़ाई गई हो,जमीन हड़पने के अध्यादेश हों या 2015 में सुप्रीम कोर्ट में दिया गया शपथपत्र हो, जिसमें कह दिया गया कि अगर लागत का 50 प्रतिशत ऊपर किसानों को समर्थन मूल्य दिया गया तो बाजार खराब हो जाएगा। मोदी सरकार आज भी अपनी उसी नीति पर काम कर रही है। हाल ही में 2022-23 के रबी फसलों के समर्थन मूल्य की घोषणा भी धोखे की इसी कड़ी का एक हिस्सा है। देखिये वर्तमान में रबी फसलों का समर्थन मूल्य कितना बढ़ाया गया और लागत व मूल्य आयोग की रिपोर्ट के अनुसार लागत के ऊपर 50 प्रतिशत दिया जाता, तो किसानों को कितना समर्थन मूल्य मिलता।
इतना ही नहीं, बीते 7 सालों में मोदी सरकार ने अतिरिक्त 25,000 रु. हेक्टेयर खेती की लागत बढ़ा दी है। डीज़ल, कीटनाशक, खाद, कृषि यंत्रों, ट्रैक्टर पाटर््स इत्यादि के दामों में वृद्धि करके और 12 से 28 प्रतिशत तक जीएसटी लगाकर। उदाहरण के लिए, 1 हैक्टेयर में गेहूँ का उत्पादन 3,421 किलोग्राम होता है। इस दृष्टिकोण से गेहूँ की लागत प्रति क्विंटल 730.78 रु. अतिरि
2. समर्थन मूल्य पर मुट्ठीभर खरीद का सच आया सामने
मोदी सरकार ने नए कृषि कानूनों में मुट्ठीभर पूंजीपतियों को असीमित मात्रा में संग्रहण की अनुमति दी है, जिससे बड़े व्यापारी जमाखोरी करके फसलों के दाम तोड़ देते हैं और किसानों को फसलों के सही दाम नहीं मिल पाते। क्योंकि सरकार बहुत कम किसानों से बहुत सीमित मात्रा में समर्थन मूल्य पर फसल खरीदती है। हाल ही में 03 अगस्त, 2021 को मोदी सरकार के कृषि मंत्रालय ने लोकसभा में बताया कि 2020-21 में 2,10,07,563 कि
उपरोक्त चार्ट से यह स्पष्ट होता है कि उत्पादन की तुलना में कितनी कम मात्रा में किसानों से अनाज सरकार खरीदती है।
3. समर्थन मूल्य: कांग्रेस बनाम मोदी सरकार
कांग्रेस सरकार ने 2006-07 से 2013-14 के बीच समर्थन मूल्य में 205 प्रतिशत तक की वृद्धि की थी। वहीं मोदी सरकार ने धान में मात्र 48 प्रतिशत और गेहूँ में मात्र 43 प्रतिशत की वृद्धि की। इससे स्पष्ट होता है कि किसानों के प्रति कांग्रेस सरकार बेहद संवेदनशील थी, जबकि किसानों का हक मारकर पूंजीपतियों को सौंप देने के लिए मोदी सरकार तत्पर है।
किसान को मोदी–नाथन नहीं, मेहनत की कीमत चाहिए। अगर मोदी सरकार ने अन्नदाता से षंडयंत्र बंद नहीं किया तो आने वाली पीढि़यां भाजपा को माफ नहीं करेंगी।