नई दिल्ली: देश अपने वीर योद्धाओं को याद कर रहा है जिनके कारण 1971 में पाकिस्तान को अपने घुटनों पर आकर भारत की धाक माननी पड़ी थी, देश में इंदिरा गांधी तत्कालीन प्रधानमंत्री की हैसियत से तख़्त पर बैठी थी और सेना की कमान एयर फील्ड मार्शल शैम माणिक शाह के हाँथो में थी। आज 1971 में पाकिस्तान पर जीत की 50वीं वर्षगांठ है। आज से 50 साल पहले आज ही के दिन भारत ने दुनिया के पटल पर पाकिस्तान का नक्शा बदल कर बांग्लादेश को जन्म दिया था। ये भारत के लिए बड़ी सफलता थी। पाकिस्तान में फंसे हिन्दू परिवारों के साथ ये खबर बड़ी राहत लेकर आया था जब नये देश बांग्लादेश का जन्म हुआ था। 16 दिसंबर सन् 1971 के दिन भारत-पाक युद्ध के दौरान भारत ने पाकिस्तान पर विजय हासिल की थी और उसी जीत को पूरा हिन्दुस्तान ‘विजय दिवस’ के रूप में मनाता है। 1971 में भारत ने पाकिस्तान को युद्ध में ना सिर्फ मात दी बल्कि दुनिया में एक बड़ी ताकत बनकर भी उभरा।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में युद्ध की शुरुआत 25 मार्च की आधी रात को अचानक हुई थी, जिसके बाद पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सैनिकों ने हमला किया। भारत हालांकि इस युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार नहीं था, पर इस युद्ध में ना सिर्फ दुश्मनों को परास्त किया बल्कि पाकिस्तान को अच्छा सबक सिखाते हुए जीत दर्ज की।
16 दिसंबर को यह युद्ध समाप्त हुआ, पाकिस्तान की तरफ से हार मान लेने के बाद, इसके बाद ढाका में बंगाली स्वतंत्रता सेनानियों ने भारतीय सेना के समक्ष बिना शर्त के आत्मसमर्पण कर दिया। पाकिस्तान की सेना ने 1971 में एक जघन्य सैन्य अभियान चालाया था। इसके चलते नौ महीने तक चले बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान लाखों लोगों की जान गई। महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया।
पाकिस्तान कुछ भी भूल जाए लेकिन आज के दिन को कभी नहीं भूल सकता। अमेरिकी की मशहूर खुफिया एजेंसी सीआईए (CIA) की तरफ से सार्वजनिक किए गए दस्तावेजों से मिली जानकारी के मुताबिक 1971 में यूएस ने सोचा था कि इंदिरा गांधी पीओके पर कब्जे के लिए सेना को आदेश दे सकती हैं। दस्तावेजों के मुताबिक बांग्लादेश के निर्माण के बाद अमेरिका को लगता था कि तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पीओके पर कब्जे के लिए पश्चिम पाकिस्तान पर हमले का आदेश दे सकती हैं। भारत ने 1971 में पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से को पड़ोसी देश से अलग कर बांग्लादेश के गठन में प्रमुख भूमिका निभाई थी।
CIA की रिपोर्ट्स और भारत-पाक के बीच तनाव पर वॉशिंगटन में हुई उच्च-स्तरीय बैठकों के ब्योरे के अनुसार, यह स्पष्ट था कि भारत की ओर से पश्चिम पाकिस्तान की सैन्य ताकत को तबाह करने की स्थिति से निपटने के लिए अमेरिका रणनीति तैयार करने में लगा था। पूर्वी पाकिस्तान में भारत की सैन्य कार्रवाई के मद्देनजर भारत-पाक के रिश्ते बिगड़ने की वजह से अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हेनरी ए. किसिंजर ने विभिन्न संभावनाओं पर चर्चा की थी। रिचर्ड कभी नहीं चाहता था कि भारत का पलड़ा भारी हो पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आगे अमेरिका की कूटनीति भी काम ना आ सकी।
बहरहाल, वॉशिंगटन में कुछ शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों को लगा था कि भारत की ओर से पश्चिमी पाकिस्तान पर हमला करने की संभावना बहुत कम है। दस्तावेजों के मुताबिक, वॉशिंगटन के स्पेशल ऐक्शन ग्रुप की एक बैठक में सीआईए के तत्कालीन निदेशक रिचर्ड होम्स ने कहा, ‘यह बताया गया है कि मौजूदा कार्रवाई को खत्म करने से पहले इंदिरा गांधी पाकिस्तान के हथियारों और वायुसेना की क्षमताओं को खत्म करने की कोशिश करने पर विचार कर रही हैं।’ पिछले हफ्ते सीआईए ने करीब एक करोड़ 20 लाख दस्तावेजों को सार्वजनिक किया था। भारत संबंधी खुलासों के ये दस्तावेज उन्हीं में शामिल हैं।
डॉक्युमेंट्स के मुताबिक, निक्सन ने ‘पूर्वी पाकिस्तान में युद्ध की स्थिति में आर्थिक सहायता बंद करने की चेतावनी दी थी, लेकिन अमेरिकी प्रशासन को पता ही नहीं था कि इसे लागू कैसे करना है।’ 17 अगस्त 1971 को शीर्ष रक्षा एवं सीआईए अधिकारियों की एक बैठक में किसिंजर ने कहा था, ‘राष्ट्रपति और विदेश मंत्री दोनों ने भारतीयों को चेताया है कि युद्ध की स्थिति में हम आर्थिक सहायता बंद कर देंगे, लेकिन क्या हमें इसका मतलब पता है ? किसी ने इसके नतीजों पर गौर नहीं किया है या सहायता बंदी लागू करने के मतलब का पता नहीं लगाया है।’ तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार किसिंजर इस बात से भी नाखुश थे कि सीआईए के पास इस बाबत पर्याप्त सूचना नहीं थी कि चीनी, भारतीय और पाकिस्तानी क्या करने वाले हैं। बैठक के ब्योरे के मुताबिक, किसिंजर क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए चीन और सोवियत संघ की मदद लेने के लिए तैयार थे।